बेरमो, एक समय कोल इंडिया के अलावा इसकी हर कंपनी सहित एरिया व परियोजना स्तर पर सभी कमेटियों में मजदूरों के सुख- सुविधाओं के अलावा माइंसों के रखरखाव पर चर्चा होती थी. मजदूर संगठनों के दबाव के बाद प्रबंधकीय स्तर पर इसका असर भी दिखता था. लेकिन, अब प्रबंधन अपनी जरूरत के अनुसार मजदूर संगठनों के साथ बैठक व वार्ता करता है. पहले किसी कंपनी में नये सीएमडी या किसी एरिया में नया जीएम पदभार ग्रहण करते थे तो सीसीएल स्तरीय जेसीसी तथा जीएम एरिया स्तर पर एसीसी की मीटिंग बुला कर मजदूर संगठनों के नेताओं से परिचय लेते थे. लेकिन, अब अधिकारी के पदभार ग्रहण करने के बाद मजदूर संगठनों के नेताओं में ही उन्हें पुष्प गुच्छ देने की होड़ मच जाती है. अब तो कई एरिया में ऐसे लोग भी एरिया स्तर की सभी कमेटियों में शिरकत करते हैं, जो ठेका पट्टा में लगे हैं.
कोल इंडिया स्तर की कई कमेटियों के बावजूद कर्मियों से जुड़े कई अहम मुद्दे लंबित पड़े हैं. इसमें मुख्य रूप से मेडिकल अनफिट का मामला है, जो वर्ष 2016 से कोल इंडिया में बंद है. इसके अलावा पेंशन रिवीजन का मामला लंबित है. 11वें वेतन समझौता की पेंशन रिविजन नहीं हो पायी है. कुछ मामलेसीएमपीएफ के कारण, तो कुछ यूनिट की लापरवाही के कारण लंबित हैं. सेवानिवृत्त 14 हजार कर्मियों काे 1.1.2017 से लागू 20 लाख रुपये ग्रेच्यूटी राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है. वहीं सीपीआरएमएस कोष में फंड की कमी है. सेवानिवृत्त कर्मियों के आवास लीज का मामला भी अधर में है. छोटे-छोटे चारपहिया वाहन चालकों के वेज का सवाल तथा ठेका मजदूरों को हाइ पावर कमेटी की अनुशंसा के अनुसार वेज व अन्य सुविधाएं दिलाने की लड़ाई आज तक जारी है.ये हैं कोल इंडिया स्तर की कमेटियां
कोल इंडिया स्तर पर कोल इंडिया एपेक्स, वेलफेयर, सेफ्टी कमेटी के अलावा जेबीसीसीआइ मानकीकरण, सीपीआरएमएस तथा प्राकृतिक आपका कमेटियां हैं. कोल इंडिया एपेक्स, वेलफेयर, सेफ्टी कमेटी की बैठक साल में दो बार किये जाने का प्रावधान है. कोल इंडिया एपेक्स की बैठक में मुख्य रूप से उत्पादन-उत्पादकता पर चर्चा होती है. इसके अलावा मजूदरों के नीतिगत मुद्दों पर प्रस्ताव रखा जाता है. कोल इंडिया वेलफेयर कमेटी की बैठक में मजदूरों के आवास, पानी, स्वास्थ्य, बिजली सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होती है. जबकि कोल इंडिया सेफ्टी कमेटी की बैठक में खदानों की सुरक्षा को लेकर चर्चा होती है. जेबीसीसीआइ मानकीकरण कमेटी की बैठक में कोयला मजदूरों के वेतन समझौता के सभी मामलों को इम्प्लीमेंट किया जाता है. सीपीआरएमएस की बैठक में रिटायर कोलकर्मियों की हेल्थ सुविधा को लेकर चर्चा की जाती है.सीसीएल स्तर पर भी हैं कई कमेटियां
सीसीएल स्तर पर भी जेसीएसी, वेलफेयर व सेफ्टी कमेटी और एरिया व परियोजना स्तर पर एसीसी, वेलफेयर, सेफ्टी, हाउसिंग कमेटी होती है. कंपनी स्तर पर जेसीएसी, वेलफेयर व सेफ्टी कमेटी की बैठक साल में हर तीन माह में होनी है, लेकिन कभी भी इसकी नियमित बैठकें नहीं होती है. वहीं, एरिया व परियोजना स्तर पर भी एसीएसी, पीसीसी, वेलफेयर व सेफ्टी कमेटी की बैठक नहीं होती है. कई एरिया में हाउसिंग कमेटी नहीं है. सेफ्टी कमेटी की बैठक दो स्तर पर होती है. एक ट्राइपरटाइट तथा दूसरा बाइपरटाइट. ट्राइपरटाइट में डीजीएमए, प्रबंधन व यूनियन के लोग रहते हैं, जबकि बाइपरटाइट में सिर्फ डीजीएमएस व प्रबंधन के लोग रहते हैं. सेफ्टी की बैठक भी डीजीएमएस की उपलब्धता के अनुसार प्रबंधन करता है. सीसीएल स्तर पर भी कमेटियों की बैठक नियमित नहीं होने से कई समस्या है. खासकर मजदूर आवासों की मरम्मत, नालियों व गार्बेज की सफाई, पेयजलापूर्ति व्यवस्था, ठेका मजदूरों की समस्याएं, सुरक्षा के दृषष्टिकोण से माइंसों का रखरखाव, प्रदूषण आदि विषयों पर ठोस प्लान नहीं बन पाता है.क्या कहते हैं यूनियन नेता
पहले सभी कमेटियों की बैठक में प्रबंधन व मजदूर संगठन मजदूर व माइंस समस्याओं को लेकर गंभीर तथा संवेदनशील रहते थे. जैसे-जैसे आउटसोर्स का दौर बढ़ रहा है, मजदूर समस्याएं बढ़ रही हैं.लखनलाल महतो, एटक
सीसीएल व एरिया स्तर पर रन करने वाली कमेटियों की बैठक नियमित नहीं होने से मजदूर समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है. ढोरी एरिया में सिविल का 13 करोड़ का फंड इएंडएम में ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे सिविल के तहत होने वाले कार्य लंबित है. रवींद्र कुमार मिश्रा, भारतीय मजदूर संघबीएंडके एरिया में कभी भी समय पर एसीसी, वेलफेयर व सेफ्टी कमेटी की बैठकें नहीं होती है. हाउसिंग कमेटी नहीं है. क्षेत्र में मजदूर समस्याओं से त्रस्त हैं.
गजेंद्र प्रसाद सिंह, एसीसी सदस्य, बीएंडके एरियाडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है