राकेश वर्मा, बेरमो, वर्ष 1987 से बंद सीसीएल कथारा एरिया अंतर्गत स्वांग समूह की पिपराडीह कोलियरी चालू होगी. इसको लेकर प्रबंधकीय कार्यवाही तेज कर दी गयी है. इसी साल इस कोलियरी के चालू होने की उम्मीद है. पिपराडीह कोलियरी चालू होने के बाद पिपराडीह रेलवे साइडिंग भी चालू होगी. क्षेत्रीय प्रबंधन के अनुसार सीसीएल बोर्ड से एप्रुवल मिलने के बाद प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना ली गयी है और इसको एप्रूवल मिल गया है. कोयला खनन के लिए आउटसोर्स का प्रपोजल बनाया जा रहा है. इसके बाद सीसीएल मुख्यालय में इसका टेंडर होगा तथा एल-1 होने वाली कंपनी इस कोलियरी से ओबी निस्तारण व कोयला खनन का काम शुरू करेगी. जानकारी के अनुसार इस कोलियरी को दो फेज में चालू किया जायेगा. पहले पेज में 21 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया जायेगा और 77 लाख घन मीटर टन ओबी का निस्तारण होगा. हर साल दो मिलियन (20 लाख टन) कोयला उत्पादन होगा. दूसरे फेज में 15 मिलियन टन कोयला का उत्पादन होगा और 46 लाख घन मीटर टन ओबी का निस्तारण होगा. इस कोलियरी में वाशरी ग्रेड 3.4.5 का कोयला है. इसे वाश कर कोकिंग कोल भी बनाया जायेगा और थर्मल व स्टील प्लांट में आपूर्ति की जायेगी. इधर, इस कोलियरी के चालू होने की खबर से आसपास के क्षेत्रों में खुशी की लहर है. लोगों का कहना है कि कोलियरी चालू होने से गोमिया, स्वांग सहित आसपास के क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही क्षेत्र का व्यवसाय क्षेत्र भी विकसित होगा. लोकल सेल भी खुलेगा, जिससे डीओ धारक, ट्रक ऑनर, लिफ्टर, लोडिंग मजदूर आदि रोजगार से जुड़ेंगे.
बन रही है रेलवे साइडिंग पिपराडीह
कोलियरी को चालू करने को लेकर यहां काफी पहले से रेलवे साइडिंग का निर्माण कार्य चल रहा है. बीच में रेलवे तथा सीसीएल के बीच कुछ विवाद के कारण काम बंद था. लेकिन फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. यहां रेलवे साइडिंग बन जाने के बाद स्वांग-गोविंदपुर खुली खदान से उत्पादित कोयला, जिसे अभी जारंगडीह रेलवे साइडिंग भेजा जाता है, उसे पिपराडीह रेलवे साइडिंग भेजा जायेगा. इसके अलावा यहां जीरो प्वाइंट पर पुल का भी निर्माण किया गया है तथा एप्रोच रोड का निर्माण कार्य होना है.
भूमिगत खदान के रूप में 1917 में चालू हुई थी यह कोलियरी
पिपराडीह कोलियरी निजी खान मालिक श्रीराम सिंह एंड कंपनी के अधीन थी. वर्ष 1917 में भूमिगत खदान के रूप में इसे चालू किया गया था. वर्ष 1971-72 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के समय इसका भी राष्ट्रीयकरण हो गया था. वर्ष 1987 में बंद कर दिया गया. प्रबंधन द्वारा तर्क दिया गया था कि इसे खुली खदान में तब्दील करने के बाद चलाया जा सकता है. जिस समय इस कोलियरी को बंद किया गया था, उस समय यहां लगभग 11 सौ कर्मी कार्यरत थे. सभी को इधर-उधर प्रबंधन ने स्थानांतरित कर दिया था. बंद पिपराडीह कोलियरी को चालू कराने को लेकर सक्रिय रहे पूर्व मंत्री माधवलाल सिंह ने कहा कि लंबे समय तक किया गया प्रयास सफल होने जा रहा है. इसके लिए सीसीएल के सीएमडी डॉ बी वीरा रेड्डी सहित सभी संबंधित अधिकारियों को बधाई. मालूम हो कि गोमिया विस क्षेत्र में राज्य सरकार का तेनुघाट ताप विद्युत केंद्र के अलावा सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र का स्वांग-गोविंदपुर परियोजना एवं स्वांग वाशरी है. रोजगार के अभाव में गोमिया विस क्षेत्र से हर साल करीब 25-30 हजार ग्रामीण युवक महानगरों व अन्य राज्यों में पलायन करते हैं.चालू वित्तीय वर्ष में बंद पिपराडीह माइंस को चालू करना प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है. परियोजना को लेकर जल्द ही आउटसोर्स का प्रपोजल तैयार हो जायेगा. इस माइंस के अस्तित्व में आने के बाद कई लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ेंगे और कथारा एरिया का भविष्य भी उज्जवल होगा.
संजय कुमार, जीएम, सीसीएल कथारा एरियाडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है