महुआटांड़. डीजीपी अनुराग गुप्ता बुधवार को ललपनिया पहुंचे. उन्होंने डाकाबेड़ा ऑपरेशन के तहत बीते सोमवार को मुठभेड़ में आठ नक्सलियों को मार गिराने वाली टीम में शामिल अधिकारियों व जवानों का हौसला बढ़ाया. डीजीपी ने मुठभेड़ में शामिल सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन, झारखंड जगुआर और जिला पुलिस बल के कई जवानों को पुरस्कृत किया. 209 कोबरा के डिप्टी कमांडेंट अंजनी, बाला मुरुगन और विक्रमजीत, झारखंड जगुआर के इंस्पेक्टर जॉन मुर्मू, जिला पुलिस के जितेंद्र और मंटू कुमार तथा सीआरपीएफ के एसी संजीव कुमार सरोज को भी पुरस्कृत किया. उन्होंने एक-एक जवान से परिचय प्राप्म किया और उन्हें प्रोत्साहित किया. यह कार्यक्रम टीटीपीएस ललपनिया के श्यामली गेस्ट हाउस में हुआ. डीजीपी ने अपने संबोधन में कहा कि वह अपने अधिकारियों और जवानों को धन्यवाद देने आये हैं. इनकी मेहनत, जांबाजी और हौसले ने हमलोगों की छाती चौड़ी कर दी है. यह सफलता ऐतिहासिक है. कहा : मुझे याद नहीं है कि झारखंड में एक साथ इतनी संख्या में नक्सलियों की टॉप लीडरशिप को हमने मार गिराया हो. जिस तरह सांप का सिर काट दिया जाता है, उसी प्रकार टॉप लीडरशिप को मार कर हम लोगों ने नक्सलियों को खत्म कर दिया है. मौके पर एडीजी ऑपरेशन संजय आनंद लाटकर, आइजी ऑपरेशन सीआरपीएफ साकेत कुमार सिंह, एसटीएफ आइजी अनूप बिरथरे, आइजी बोकारो डॉ माइकल राज एस, डीआइजी सुरेंद्र कुमार झा, एसपी मनोज स्वर्गियारी, कोबरा के कमांडेंट दीपक भाटी, एसडीपीओ बेरमो बीएन सिंह कई थानाें के थाना प्रभारी और जवान मौजूद थे.
बचे-खुचे हर नक्सली की गतिविधि की है जानकारी
डीजीपी ने पत्रकारों से कहा कि मुठभेड़ के बाद सर्च ऑपरेशन जारी है. स्पॉट से दो लोग कस्टडी में लिये गये हैं. उनसे पूछताछ और जांच जारी है. उन्होंने कहा कि पुलिस का सूचना तंत्र काफी मजबूत है. बचे-खुचे हर नक्सली की हर गतिविधि की पुलिस को पूर्ण जानकारी है. जल्द से जल्द सरेंडर करें. डीजीपी ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कहा कि हारे हुए दुश्मनों से क्या वार्ता करनी है. उनके पास अब सिर्फ सरेंडर करने का ही रास्ता है.
सरेंडर नहीं करेंगे तो उनका भी यही हश्र होगा
डीजीपी ने कहा कि इस क्षेत्र के सारे सुरक्षा बलों की री-डिप्लॉयमेंट चाईबासा के सारंडा क्षेत्र में करने जा रहे हैं. बचे खुचे और बिल में छुपे जो नक्सली सारंडा के जंगलों में बैठ कर वसूली करने और लोगों की हत्या करने में लगे रहते हैं, उन घटना को बंद कर सके और बरसात शुरू होने के पूर्व झारखंड को नक्सल से मुक्त कर सके. डीजीपी ने मुठभेड़ में कोबरा की भूमिका की खूब सराहना की और मिली सफलता में अहम रोल बताया. कहा कि कोबरा ने ही अग्रिम पंक्ति में सीधे की लड़ाई लड़ी. उन्होंने नक्सलियों को सलाह देते हुए कहा कि सरेंडर करें और मुख्यधारा से जुड़ें. नक्सलियों को जेल में नहीं, ओपन जेल में रखेंगे. कानूनी लड़ाई लड़ने से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक की मदद करेंगे. बावजूद इतना समझाने और कहने के बाद भी बचे-खुचे नक्सली सरेंडर नहीं करते हैं तो उनका भी वही हश्र होगा, जो ललपनिया में आठ नक्सलियों का हुआ है.
इस मुठभेड़ के बाद नक्सली लगभग साफ : एसपी
बोकारो एसपी मनोज स्वर्गियारी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सोमवार को मुठभेड़ की घटना के दौरान मिली बड़ी सफलता बोकारो जिला ही नहीं बल्कि झारखंड पुलिस की है. इसके बाद मुझे नहीं लगता है कि नक्सलियों को उठने का भी मौका मिलेगा. विवेक के ही दस्ते के चार-पांच नक्सली बचे हैं. इनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जायेगी. एक नक्सली की गिरफ्तारी हुई है. एक और नक्सली द्वारा सरेंडर करने के सवाल पर कहा कि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है और अभियान जारी है.
पहले नक्सलियों ने चलायी गोली : डिप्टी कमांडेंट, कोबरा
कोबरा के डिप्टी कमांडेंट अंजनी कुमार ने बताया कि बटालियन कमांडेंट से हमें सूचना दी गयी थी कि लुगू में टॉप नक्सली जमा हुए हैं. 16-17 की संख्या में थे और राज्य सरकार की विकास योजनाओं को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जमा हुए थे. एसपी बोकारो, कमांडेंट ने प्लान बनाया और मुझे इस ऑपरेशन को लीड करने की जिम्मेवारी दी गयी. सर्च के दौरान नक्सलियों ने पहले गोली चलायी थी. इसके बाद हम लोगों ने मुंहतोड़ जवाब दिया.
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