22.8 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

World Heritage Day 2025: झारखंड छोड़िए, इन धरोहरों को ठीक से बोकारो के लोग भी नहीं जानते

World Heritage Day 2025: बोकारो के चंदनकियारी प्रखंड का पोलकिरी स्थित भैरव स्थल महाभारत काल का है. गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित लुगु बुरू घंटा बाड़ी धोरोम गाढ़ अंतरराष्ट्रीय धरोहर है. यहां हर वर्ष नवंबर में दो दिवसीय विशाल धर्म महासम्मेलन होता है, जहां देश-विदेश के संतालियों का जमावड़ा लगता है. चास का कुम्हरी गांव स्थित चेचका धाम बोकारो की एक विशिष्ट धरोहर है. आइए, विश्व धरोहर दिवस पर इनके बारे में जानते हैं.

World Heritage Day 2025: कसमार (बोकारो), दीपक सवाल-शहर की विरासत और धरोहर पीढ़ी दर पीढ़ी जोड़ती है. इतिहास में हुई घटनाओं के ये गवाह होते हैं. यह हमारी पहचान, संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें अपने अतीत से जोड़ता है और हमें वर्तमान में आकार देता है. बोकारो में भी ऐसे अनेक स्थल हैं, जो ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी हैं. कुछ स्थलों का इतिहास हजारों साल पुराना है और उससे हमें अपने अतीत की पहचान मिलती है, हालांकि यह भी विडंबना है कि कुछेक स्थलों को छोड़ दिया जाए, तो शहर की अधिकतर विरासत शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार होकर रह गया है. ना उसकी देखरेख हो पाई, ना संरक्षण की दिशा में कभी कोई पहल हुई.

महाभारत काल से जुड़ा है चंदनकियारी का भैरव स्थल


बोकारो जिला अंतर्गत चंदनकियारी प्रखंड का पोलकिरी स्थित भैरव स्थल का इतिहास लगभग पांच हजार साल पुराना है. यह स्थल महाभारत काल के प्रसंग से जुड़ा हुआ है. चंदनकियारी से सात किमी दूर मानपुर मोड़ के पास बायीं ओर का रास्ता पकड़ कर यहां तक पहुंचा जा सकता है. यहां एक जलधारा की उत्पत्ति है. ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान माता कुंती अपने पुत्रों के साथ जब इस क्षेत्र में आयी थीं, तब उनकी प्यास बुझाने के लिए अर्जुन ने अपने बाणों के प्रहार से इस जगह पर इस जलधारा की उत्पत्ति की थी. यह जलकुंड ‘गुप्त गंगा’ के नाम से जाना जाता है. हालांकि किसी धर्म ग्रंथ में इस बात का कहीं कोई जिक्र नहीं मिलता है, पर इस क्षेत्र में सदियों से यही मान्यता स्थापित है. उसके प्रमाण के तौर पर जलकुंड को देखा जाता है. वैसे यह जगह भैरव स्थल के रूप में प्रसिद्ध है.

मंदिर में बाबा काल भैरव की है प्रतिमा


जलकुंड के निकट बाबा काल भैरव की प्रतिमा एक मंदिर में स्थापित है. इसकी स्थापना 1500 ई में हुई है. बताया जाता है कि 1500 ई में पोलकरी निवासी दुर्गादास ठाकुर के पूर्वज को बाबा काल भैरव ने स्वप्न में इजरी नदी पर अपनी प्रतिमा होने का संकेत देते हए ‘गुप्त गंगा’ के पास स्थापित करने की बात कही थी. उसे कंधों पर यहां लाकर तत्कालीन काशीपुर के महाराजा ज्योति प्रसाद सिंह देव के हाथों प्रतिष्ठापित किया गया था. ‘गुप्त गंगा’ से सालों भर स्वच्छ जल निकलता है. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु इस बहती जलधारा में स्नान भी करते हैं और जलपात्रों में भर कर अपने घर भी ले जाते हैं. कहा जाता है कि इसके उपयोग से पेट संबंधी बीमारी ठीक हो जाती है. जलधारा को आम जनों तक पहुंचाने के लिए यहां कई नालियों का निर्माण कराया गया है. गंगा में बीचो-बीच एक गोलाकार पत्थर है. कहा जाता है कि पहले प्रत्येक रविवार को यह पत्थर स्वयं चक्कर काटता था.

बोकारो के प्राचीनतम इतिहास का प्रत्यक्ष प्रमाण है चेचका


चास का कुम्हरी गांव स्थित चेचका धाम बोकारो की एक विशिष्ट धरोहर है. इसे बोकारो के प्राचीनतम इतिहास का प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है. कथित तौर पर भगवान विष्णु के पदचिह्न व अस्त्र-शस्त्र तथा पत्थरों पर लिखी गयी खास प्रकार की लिपि यहां विशेष दर्शनीय है. इस लिपि को आज-तक पढ़ा नहीं जा सका है. माना जाता है कि इसके पढ़े जाने से इतिहास की गर्भ में दबे कई रहस्यों का खुलासा हो सकता है. वैसे, जैन धर्मावलंबी इस पदचिह्न को भगवान महावीर के होने का दावा भी करते हैं. किसी समय यह इलाका जैनियों के प्रभाव में भी रहा है. बताया जाता है कि 1921 के सर्वेक्षण के दौरान यहां के अंग्रेज उपायुक्त को दामोदर नदी में अनेक अवशेष मिले थे. उन्होंने उसे शिव मंदिर में रख दिया था. उसकी विवरणी जिला गजेटियर में भी शामिल है. कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग के प्रशिक्षक हरेंद्र सिन्हा ने भी अपनी टीम के साथ यहां पहुंचकर इसका निरीक्षण किया था. पूरी पड़ताल के बाद कहा था कि चेचका धाम पुरानी सभ्यता, संस्कृति से जुड़ा है और इसका संरक्षण जरूरी है, पर लिपि व पदचिह्न के संरक्षण के लिए कोई विशेष काम अभी तक नहीं हुआ है. फिलहाल यह स्थल हिंदू धर्मावलंबियों की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है और इसे ‘मिनी बाबाधाम’ तक कहा जाता है. कच्छप पृष्ठभूमि में होने के कारण प्राचीनकाल में यह तांत्रिक पीठ भी था. दंतकथाओं एवं जनश्रुतियों के अनुसार, इसी स्थल पर जगन्नाथपुरी नामक तीर्थ स्थली बननी थी. भगवान विष्णु यहां साक्षात पधारे थे. यहां मौजूद पदचिह्नों को इसके प्रमाण के तौर पर देखा जाता है.

अंतरराष्ट्रीय धरोहर है लुगु बुरू घंटा बाड़ी धोरोम गाढ़


गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित लुगु बुरू घंटा बाड़ी धोरोम गाढ़ अंतरराष्ट्रीय धरोहर है. संतालियों में ऐसी मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व उनके पूर्वजों ने लुगु पहाड़ की तलहटी पर स्थित दोरबारी चट्टान में लुगुबाबा की अध्यक्षता में निरंतर 12 वर्षों तक बैठक कर उनके सामाजिक संविधान और संस्कृति की रचना की थी और संताली समुदाय आज भी उसी का पालन करता आ रहा है. संतालियों के हर पूजा, विधि-विधान, कर्मकांडों तथा लोकनृत्य व लोकगीतों में लुगुबुरू का जिक्र होता है. धोरोमगढ़ के आसपास चट्टानों की भरमार है. वे ‘दोरबारी चट्टान’ के नाम से विख्यात हैं. इन्हीं चट्टानों को आसन के तौर पर इस्तेमाल कर पूर्वज यहां दरबार लगाते थे. इनमें लगभग आधे दर्जन चट्टानों में संतालियों के पूर्वजों ने गड्ढा कर ओखली के रूप में उपयोग किया था, जो आज भी मौजूद हैं. इनमें से कुछ देखरेख के अभाव में भर गये हैं.

लगता है दो दिवसीय विशाल धर्म महासम्मेलन


यहां प्रत्येक वर्ष नवंबर में होने वाले दो दिवसीय विशाल धर्म महासम्मेलन में देश-विदेश से संतालियों का जमावड़ा होता है. पहाड़ी की चोटी पर स्थित ऐतिहासिक व रहस्यमयी गुफा के अंदर देवी दुर्गा व भगवान शिव समेत अन्य देवताओं की प्रतिमा व शिलालेख स्थापित होने के कारण हिंदू धर्मावलंबियों के लिए भी लुगु पहाड़ी लोक आस्था का केंद्र बना हुआ है. वैसे तो संतालियों के धर्म महासम्मेलन को राजकीय महोत्सव का दर्जा मिला है और सरकारी स्तर पर कुछ काम भी हुए हैं, पर इसके संरक्षण व विकास के लिए अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है.

ये भी पढे़ं: Santhal Social Boycott: झारखंड में माझी बाबा का तुगलकी फरमान, 12 गांवों के 118 संताल परिवारों का सामाजिक बहिष्कार

Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel