चाईबासा. जिला विधिक सेवा प्राधिकार चाईबासा की ओर से गुरुवार को तुइबीर पंचायत भवन में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया. पीएलवी हेमराज निषाद व पीएलवी रत्ना चक्रवर्ती ने ग्रामीणों को कई महत्वपूर्ण कानूनी जानकारियां दी गयी. बताया कि बाल विवाह और डायन प्रथा दोनों ही समाज में गंभीर कुरीतियां हैं जो बच्चों और महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं. बाल विवाह बच्चों को उनकी शिक्षा और विकास से वंचित करता है, जबकि डायन प्रथा के कारण महिलाओं को उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ता है.
लड़कियों की शादी 18 साल से पहले न करें:
रत्ना चक्रवर्ती ने बताया कि बाल विवाह एक ऐसी सामाजिक कुप्रथा है, जिसमें लड़कियों को 18 वर्ष और लड़कों को 21 वर्ष की निर्धारित आयु से पहले विवाह के बंधन में बांध दिया जाता है. यह न केवल एक कानूनी अपराध है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास पर भी गंभीर असर डालता है. बाल विवाह के कारण लड़कियों की शादी की उम्र कम हो जाती है, जिससे वे कम उम्र में गर्भावस्था और प्रसव संबंधी जटिलताओं की शिकार बन जाती हैं. उन्होंने यह भी बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार अक्सर अपनी बेटियों की शादी कम उम्र में कर देते हैं, जिससे उनकी शिक्षा और बचपन दोनों छीन जाते हैं. इस अवसर पर उपस्थित लोगों को साइबर क्राइम से बचाव तथा श्रमिक निबंधन कार्ड की महत्ता के बारे में भी जानकारी दी गयी. शिविर में तुइबीर पंचायत की मुखिया जोत्सना देवगम रोजगार सेवक मोहन दास, सेविका मेमबत्ती बारी और अन्य लोग उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है