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Chaibasa News : चार पंचायतों के 11,260 घरों में पाइपलाइन पहुंची, नहीं मिला एक बूंद पानी

जगन्नाथपुर. पूर्व मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट मोगरा जलापूर्ति योजना बनी मजाक

जगन्नाथपुर. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का ड्रीम प्रोजेक्ट मोगरा जलापूर्ति योजना मजाक बनकर रह गयी है. वर्ष 2014 में 06 करोड़ की लागत से योजना शुरू हुई. बाद में तकनीकी कारणों से लागत बढ़कर 9.34 करोड़ रुपये हो गयी. वर्ष 2015 में काम शुरू हुआ. 2017 तक जल आपूर्ति शुरू करने का लक्ष्य था. हालांकि, 2021 तक योजना अधूरी रही. अब तक नियमित जल वितरण नहीं हो सका है. चार पंचायतों मोंगरा, जगन्नाथपुर, बलियाडीह और कंसलापोस के 11,260 घरों तक पाइपलाइन पहुंची, पर एक बूंद पानी नहीं पहुंचा. ग्रामीण आज भी चुआं, कुआं और हैंडपंप पर निर्भर हैं. कई घरों ने पाइप कनेक्शन हटा दिए हैं. ज्ञात हो कि योजना के तहत देवनदी से जलापूर्ति होनी थी. यह नदी बरसात के बाद सूख जाती है. जल संग्रहण के लिए बना चेक डेम घटिया गुणवत्ता का है. इसमें पानी टिकता नहीं है. विभागीय अधिकारी और कर्मचारी लापरवाह हैं. देव नदी के सूखने से पेयजल आपूर्ति, खेती और बागवानी ठप हो जाती है. टंकी पर लगे ताले और जमे धूल मोंगरा गांव की जलमीनार शोभा की वस्तु है. टंकी पर ताले लगे हैं. पाइपलाइन जगह-जगह फट गया है. लोग सोलर जलमीनार या नदी किनारे खुदाई कर पानी निकाल रहे हैं. विधायक सोनाराम सिंकु ने विधानसभा में इस योजना की बदहाली का मुद्दा उठाया था. पंचायत प्रतिनिधियों ने कई बार प्रशासन को जानकारी दी, लेकिन कार्रवाई धीमी रही. डीसी ने बैठक कर 1408 उपभोक्ताओं की समीक्षा की हाल में उपायुक्त चंदन कुमार के निर्देश पर पंचायत कार्यालय में बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता मुखिया जोलेन भुइंयां ने की. 1408 जल उपभोक्ताओं की समीक्षा हुई. मेन पाइप, नलों, टंकी और कनेक्शन की स्थिति का सर्वेक्षण किया गया. सभी कनेक्शन की रिपोर्ट पीएचइ विभाग को देने का निर्देश दिया गया है. जलसहिया और वार्ड सदस्य करेंगी सर्वे जल सहिया और वार्ड सदस्यों को सर्वे का कार्य सौंपा गया है. इसके आधार पर मरम्मत और संचालन के लिए प्राक्कलन बनेगा. इसका खर्च डीएमएफटी फंड से उठाया जायेगा. ग्रामीणों की मांग है कि जगन्नाथपुर को वैतरणी नदी जलापूर्ति योजना से जोड़ा जाये. वहीं, जर्जर यंत्रों, पाइप और टंकियों की मरम्मत हो. जिन घरों में कनेक्शन नहीं हैं, उन्हें जोड़ा जाये. प्लास्टिक पाइप की जगह लोहे के मजबूत पाइप लगाए जायें. मजबूत चेकडैम व पाइपलाइन की मरम्मत हो ग्रामीण उषा देवी ने कहा कि जलमीनार दिखाने के लिए है. धरातल पर पानी नहीं है. उपासी देवी ने कहा कि पाइपलाइन तोड़ चुकी हूं. अब दूसरों पर निर्भर हूं. कोमल गुप्ता ने कहा कि कभी कुछ दिन पानी आया था, अब तो सपनों में नहीं आता. अब जरूरी है कि मजबूत चेक डेम बने. पाइपलाइन की मरम्मत हो. प्रशासनिक जवाबदेही तय हो. ग्रामीणों की भागीदारी से योजना को फिर से शुरू किया जाये. फिलहाल जिला प्रशासन ने पहल की है.

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