जैंतगढ़. चंपुआ में इन दिनों डायरिया व टायफाइड के मामले बढ़ गये हैं. स्वास्थ्य विभाग, एनएसी और जिला प्रशासन सतर्क है. होटलों, बेकरी और खाद्य सामग्री की दुकानों में छापेमारी जारी है. वहीं, क्षेत्र की लाइफलाइन वैतरणी नदी में खुलेआम कचरा फेंका जा रहा है. नदी पर जैंतगढ़ की 95 प्रतिशत आबादी और चंपुआ की लगभग 80 प्रतिशत आबादी निर्भर है. ऐसे में नदी का पानी उपयोग करने से बीमारी फैलने की आशंका है. जैंतगढ़-चंपुआ सीमा पर आधा किमी के अंदर वैतरणी नदी में पुल के अगल-बगल में पांच इंटेक वेल बने हैं. इनसे क्षेत्र में जलापूर्ति होती है. हाल के दिनों में वैतरणी नदी में हर प्रकार के वेस्टेज बहाये जा रहे हैं. जैंतगढ़-चंपुआ नगर वैतरणी तट पर स्थित हैं. नदी के दोनों किनारे में मात्र दो सौ मीटर की दूरी पर मीट-मछली की दुकानें हैं. वहां साफ-सफाई का घोर अभाव है. वेस्टेज को ठिकाने लगाने का कोई साधन या उपाय नहीं है. अधिकतर दुकानदार वेस्टेज को सीधे वैतरणी पुल से नीचे फेंक देते हैं. जैंतगढ़ में कूड़ा प्रबंधन का साधन नहीं है. रात में लोग अपने घरों का कूड़ा झोला या पेटी में डाल कर नदी में बहा देते हैं. ऐसे में गंध आती है. लोगों को नाक पर रुमाल रख कर पुल पार करना पड़ता है.
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