चतरा़ नगर परिषद क्षेत्र का लाइफलाइन माने जाने वाले हेरू डैम का वर्ष 2023 में 2.76 करोड़ रुपये की लागत से गहरीकरण किया गया था, लेकिन शहरवासियों को एक साल भी इसका लाभ नहीं मिला. पहले की तरह ही लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है. मार्च माह में ही डैम पूरी तरह सूख गया था, जिससे शहर में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है. वर्तमान में जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर भेड़ीफॉर्म में स्थित लक्ष्मणपुर डैम से चार-पांच दिन के अंतराल में पेयजलापूर्ति हो रही है. बिजली की समस्या होने पर एक सप्ताह से अधिक समय तक पेयजलापूर्ति बाधित हो रहती है. बता दें कि दो साल पहले वर्ष 2023 में 2.76 करोड़ रुपये की लागत से पूजा कंस्ट्रक्शन द्वारा हेरू डैम का गहरीकरण और जीर्णोद्धार किया गया था. डैम के गहरीकरण के बाद डैम में अत्यधिक पानी का जमाव (स्टोरेज) होने की उम्मीद थी और शहर के लोगो को पेयजल संकट से निजात मिलने की उम्मीद थी. स्थानीय लोगों की माने तो प्राक्कलन अनुसार काम नहीं किया गया, जिसके कारण पानी लाभ नहीं मिल पा रहा है. 2023 में अप्रैल माह, 2024 में फरवरी माह व 2025 में मार्च माह में ही डैम सूख गया था.
1333 उपभोक्ता के पास हैं कनेक्शन
शहर में 1333 उपभोक्ता है, जिनसे मकान के एरिया के आधार पर पानी कर (टैक्स) लिया जाता है. 1000 मीटर स्क्वायर तक आवास के उपभोक्ता से 135 रूपये, 1000-2000 मीटर स्क्वायर तक के आवास के उपभोक्ता से 225, 2000-3000 मीटर स्क्वायर तक के आवास के उपभोक्ता से 340 व इससे अधिक मीटर स्क्वायर के आवास के उपभोक्ता 580 रुपये प्रति माह लिया जाता है. पानी कर नगरपालिका लेती है. उपभोक्ता के अलावा कई चौक-चौराहों पर सार्वजनिक नल (स्टैंड नल) भी लगा है, जहां से लोग पानी भरते है. नियमित पेयजलापूर्ति नहीं होने से कई उपभोक्ताओं ने कनेक्शन कटवा लिया है.तीन जलमीनार से होती है पेयजलापूर्ति
चतरा शहर में तीन जलमीनार से पेयजलापूर्ति होती है. जिसमें काली पहाड़ी, ब्लॉक व पुरानी टंकी शामिल है. सभी की क्षमता चार लाख 25 हजार गैलन है. काली पहाड़ी स्थित जलमीनार की क्षमता 1.75 लाख गैलन, ब्लॉक स्थित जलमीनार की क्षमता 1.50 लाख गैलन व पुरानी टंकी की क्षमता एक लाख गैलन है. सबसे अधिक दबाव पुरानी टंकी पर है, जबकि इसकी क्षमता सबसे कम है.गेट और ड्रेन वाल्व नहीं कर रहा काम
हेरू डैम का फाटक गेट (स्पिलवे गेट) व स्लूज वाल्व (ड्रेन वल्व) पूरी तरह जर्जर हो गया है. दोनों काम नहीं कर रहा है. चार साल पहले एक-दो गेट ऑपरेट होता था. अब एक भी गेट ऑपरेट नहीं हो रहा है. गेट व वल्व काम नहीं करने से बारिश के दिनों में इसके बहने का डर बना रहता है. हमेशा पानी बहते रहता है. पहले बारिश के दिनों में दोनों खोल दिया जाता था और गर्मी आने से पहले गेट को पूरी तरह सील कर दिया जाता था. जिससे डैम में पर्याप्त मात्रा में पानी रहता था. उपायुक्त रमेश घोलप ने 17 अप्रैल को हेरू डैम का निरीक्षण किया था. कहा था कि फाटक गेट व अन्य की मरम्मति कार्य बहुत जल्द शुरू होगा. बरसात के पहले मरम्मति कार्य पूरा कर लिया जायेगा, ताकि बारिश जल का अधिक से अधिक संग्रहण किया जा सके.उपभोक्ताओं ने कहा
उपभोक्ता अजय केशरी, अमित कुमार, मो इमरान ने कहा कि हेरू डैम के गहरीकरण व जीर्णोद्धार से शहर में पेयजल समस्या से निजाम मिलने की उम्मीद थी, लेकिन गहरीकरण का लाभ नहीं मिला. हर माह पानी कर देते है, इसके बावजूद नियमित रूप से पेयजलापूर्ति नहीं होती है. गर्मी शुरू होते ही अनियमित पेयजलापूर्ति शुरू हो गयी है. जनप्रतिनिधि व पदाधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उपभोक्ताओं ने उपायुक्त से शहर में नियमित रूप से पेयजलापूर्ति करने की मांग की.कार्यपालक अभियंता ने कहा
पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार मुंडारी ने कहा कि हेरू डैम के स्पिलवे गेट व स्लूस वल्व मरम्मत के लिए मैकेनिकल डिविजन हजारीबाग द्वारा 1.82 करोड़ रुपये का स्टीमेट तैयार किया गया है, जिसे जिला को सौंप दिया गया है. उक्त कार्य होने से गेट व वल्व का ऑपरेट हो पायेगा. वर्तमान में दो-तीन दिन के अंतराल में पेयजलापूर्ति की जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है