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East Singhbhum News : फर्जी पाये गये 172 लाभुकों का आवेदन सत्यापित करने वालों पर अबतक दर्ज नहीं हुई प्राथमिकी

घाटशिला प्रखंड की हेंदलजुड़ी पंचायत में मंईयां सम्मान योजना फर्जीवाड़ा में 21 दिन बाद भी साइबर अपराधी एसआइटी की पकड़ से अभी भी दूर हैं.

गालूडीह .

घाटशिला प्रखंड की हेंदलजुड़ी पंचायत में मंईयां सम्मान योजना फर्जीवाड़ा में 21 दिन बाद भी साइबर अपराधी एसआइटी की पकड़ से अभी भी दूर हैं. वहीं 172 फर्जी लाभुक जो झारखंड से बाहर पश्चिम बंगाल और बिहार के मिले हैं, उनके आवेदनों को सत्यापित करने वाले कर्मी और पदाधिकारियों पर अब तक प्राथमिकी भी दर्ज नहीं हुई है.

जिला प्रशासन के आदेश पर एसआइटी गठित हुई

यह मामला 9 जुलाई को सामने आया था. जब हेंदलजुड़ी के पंचायत सचिव मंगल टुडू ने गालूडीह थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी दर्ज हुए 21 दिन बीत गये. इस मामले में जिला प्रशासन के आदेश पर एसआइटी गठित हुई, जिसमें घाटशिला के एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, मुसाबनी के डीएसपी समेत 12 पुलिस पदाधिकारी शामिल किए गये. एसआइटी की टीम 16 जुलाई को जांच के लिए और नामजद 172 लाभुकों के नामों को सत्यापित करने के लिए बिहार के किशनगंज और पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के संबंधित थाना क्षेत्र में गयी. वहां की पुलिस के साथ मिलकर जांच की. करीब चार-पांच दिनों तक एसआइटी की टीम वहां रह कर जांच की, जिसमें कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये. जांच में यह पाया गया कि लाभुकों में कोई बच्चा, तो कई वृद्ध, तो कोई मरीज, तो कोई दिव्यांग है. कुछ शादी के बाद अन्यत्र चली गयी है. कुछ उस नाम के वहां मिली ही नहीं. अधिकांश को पता नहीं, किसी के पास बैंक खाता तक नहीं है. जबकि दर्ज प्राथमिकी में 172 अल्पसंख्यक महिलाओं के नामों का जिक्र है.

वीएलइ, पंचायत सचिव व बीडीओ ने सत्यापित किये हैं आवेदन

हेंदलजुड़ी पंचायत के वीएलइ रमेश मुर्मू, पंचायत सचिव पुष्पा कुमारी पोद्दार और घाटशिला की बीडीओ यूनिका शर्मा ने 172 फर्जी मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों के आवेदन को सत्यापित किया है. जांच में यह बात सामने आयी है. यह प्रावधान भी है पहले वीएलइ, फिर पंचायत सचिव फिर बीडीओ सत्यापित कर आवेदन जिला में भेजते हैं. तब खाते में पैसा आता है. पर इन तीनों के खिलाफ अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है. सिर्फ शोकॉज कर जबाव मांगा गया है. हालांकि गठित एसआइटी ने तीनों से पूछताछ जरूर की है. एसआइटी की जांच में यह भी पाया गया है कि बीडीओ और पंचायत सचिवों को लॉगिन आइडी और पासवर्ड दिये गये थे. इन आइडी और पासवर्ड को सरकारी कर्मियों के ग्रुप में सोशल मीडिया पर डाल दिया था. इसका फायदा उठाकर साइबर ठगों ने बंगाल और बिहार की सैकड़ों महिलाओं के खाते में झारखंड की योजना की राशि डलवा ली. अभी तक तीन किस्तों की राशि निकाली जा चुकी है. खुलासा हुआ है कि किशनगंज के ठाकुरगंज व पौआखाली की 40 महिला लाभुकों के नाम पोर्टल पर दर्ज कर योजना का लाभ लिया गया है. वहीं, बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की 132 महिलाओं की सूची सामने आयी है. बिहार- बंगाल के कई सीएसपी (कस्टमर सर्विस पॉइंट) के बीसी (बैंक कॉरेस्पॉन्डेंस) जुड़े हुए हैं. सीएसपी संचालक की पुलिस तलाश कर रही है.

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