घाटशिला.
घाटशिला के पूर्व विधायक बास्ता सोरेन के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है. बास्ता सोरेन सीपीआइ के कद्दावर नेता थे. वे जल, जंगल, जमीन के अधिकार की लड़ाई के प्रमुख चेहरों में शामिल थे. गरीबों, मजदूरों और आदिवासी समाज के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश षाड़ंगी, पूर्व विधायक देवीपदो उपाध्याय, सीपीआइ के जिला सचिव अंबुज कुमार ठाकुर, जिला कार्यकारिणी सदस्य आरएस रॉय, शशि कुमार, यूनियन के अध्यक्ष बीएन सिंहदेव, महासचिव ओमप्रकाश सिंह, झारखंड कॉपर मजदूर यूनियन के महासचिव देवी प्रसाद मुखर्जी समेत कई लोगों ने श्रद्धांजलि दी. मौके पर उनके पुत्र डॉ देवदूत सोरेन और पुत्रवधू डॉ सुनीता देवदूत सोरेन उपस्थित रहे.बास्ता बाबू अमर रहे से गूंजा यूनियन कार्यालय :
मऊभंडार यूनियन कार्यालय में सीपीआइ का झंडा उनके पार्थिव शरीर को ओढ़ाया गया. बास्ता बाबू अमर रहे के नारे लगते रहे. डॉ दिनेश षाड़ंगी ने कहा कि बास्ता बाबू मेरे मार्ग दर्शक थे. उन्होंने राजनीति में मुझे दिशा दी. उनका जाना अपूरणीय क्षति है. पूर्व विधायक देवीपद उपाध्याय की आंखें नम हो गयीं. उन्होंने कहा कि बास्ता बाबू मेरे अभिभावक रहे. उन्हीं की प्रेरणा से मैं चार बार विधायक चुना गया. मौके पर कासू हांसदा, विद्युत मजूमदार, महमूद अली, भुवनेश्वर तिवारी, लखन मार्डी, रामदास हासंदा, बिनय बेरा आदि उपस्थित थे.
पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को मजबूत बनाने में बास्ता सोरेन की अहम भूमिका थी:
पूर्व विधायक बास्ता सोरेन के निधन से आदिवासी समाज में गहरा शोक है. स्व सोरेन ने पूर्वी सिंहभूम माझी परगना महल की स्थापना हरेंद्र नाथ मुर्मू, स्व जादुनाथ बास्के, स्व रामचंद्र मुर्मू और स्व ब्रह्मादेव शर्मा के साथ मिलकर की थी. उन्होंने आदिवासी समाज को संविधान में प्रदत्त अधिकारों के प्रति जागरूक करने और पारंपरिक स्वशासन को सशक्त बनाने के लिए जीवन समर्पित किया. माझी परगना महाल की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. पारंपरिक ध्वज उनके पार्थिव शरीर को ओढ़ाया गया. मौके पर देश पारगना बाबा बैजू मुर्मू, परगना परिपद मुर्मू, देश पारानिक दुर्गा चरण मुर्मू, दिपक मुर्मू, मार्शाल मुर्मू, लखन मार्डी, जगदीश बास्के समेत समाज के कई लोग उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है