घाटशिला.
करीब 23 साल पहले अचानक एक दिन झाड़ग्राम के सुभाषपल्ली निवासी अंजू रानी विश्वास की जिंदगी उजड़ गयी. दरअसल, कश्मीर के राजौरी में अचानक हुए हमले में उनके पति सुनील चंद्र विश्वास शहीद हो गये. उस समय सुनील की उम्र 46 साल थी. वे सीआरपीएफ 49वीं बटालियन के हेड कांस्टेबल थे. अंजू रानी कहती हैं कि पाकिस्तान हमेशा कायरों की तरह आतंकियों के जरिये हमला करता है. मेरे सिंदूर को पाक आतंकियों ने मिटा दिया था. पहलगाम की घटना के बाद मन बहुत खराब हो गया था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर की सफलता देखकर बहुत खुश हूं. भारतीय सेना आतंकियों का सफाया करे, तब मुझे थोड़ी शांति मिलेगी. अंजू रानी कहा कि 3 फरवरी, 2002 की सुबह का समय था. अचानक पाक के आतंकियों ने राजौरी के सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया. कैंप के हथियार गोदाम की जिम्मेदारी संभाल रहे सुनील को गोली मार दी. कैंप के अन्य आठ जवान भी घटना में शहीद हुए थे. पति के शहीद होने पर अंजू रानी अकेली हो गयी. हालांकि, 12 साल और 7 साल के बेटे सुमन और शुभंकर के चेहरे को देखकर खुद को संभाला. बच्चों ने जाना कि पाकिस्तान के समर्थन वाले आंतकियों ने कायरों की तरह भोर में हमला कर उनके पिता को छीन लिया. वर्तमान में झाड़ग्राम शहर के सुभाषपल्ली में एक छोटे से घर में अंजू रानी अपने दो बेटे, दो बहुओं और एक पोते के साथ रहती हैं. बड़ा बेटा सुमन टोटो चलाता है. छोटा बेटा शुभंकर स्टेट बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र का ऑपरेटर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है