Operation Sindoor: जमशेदपुर, संजीव भारद्वाज-‘पाकिस्तान ने गोली चलायी थी, लेकिन धमाका हमने किया. पाकिस्तान के लगभग शहर पर भारतीय फौज ने सीधा हमला किया, उसे ऐसा सबक सिखाया है कि दशकों तक वह याद रखेगा. भविष्य में कुछ भी करने से पहले सौ बार सोचेगा.’ ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रहे बीएसएफ जवान धीरज कुमार राय ने प्रभात खबर से बातचीत में ये बातें कहीं. वे बागुनहातु रोड नंबर-5 के निवासी हैं. उनके छोटे भाई निकेश कुमार राय भी बीएसएफ जवान हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दोनों भाई जम्मू के एक पोस्ट पर तैनात थे. वर्तमान में भगीना की रिंग सेरेमनी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर घर आये हुए हैं. धीरज ने कहा कि उनकी तैनाती ऐसी पोस्ट पर थी, जहां दुश्मनों की ओर से मोर्टार से हैवी शेलिंग हो रही थी, लेकिन हम दोनों भाई डटे रहे. दुश्मनों के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया. निकेश ने कहा कि उन्हें ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्व है. बॉर्डर पर तैनाती के दौरान हर पल हम सचेत रहे. दुश्मनों की हर चाल को नाकाम किया.
आतंकी ढांचे को जड़ से खत्म करना था हमारा मकसद
धीरज ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि मिशन-आधारित स्ट्राइक थी. उनका इरादा बिल्कुल साफ है. उन्हें दुश्मन के आतंकी ढांचे और उन चौकियों को खत्म करना था, जो घुसपैठ में मदद कर रहे थे. हम इसके लिए मानसिक और रणनीतिक रूप से तैयार थे. हम जिस पोस्ट परतैनात थे, वहां भी पाकिस्तान की तरफ से तोपखाने से भारी हमला हुआ, लेकिन हमारी ओर कोई जनहानि नहीं हुई. हमारा मकसद आतंकी ढांचे को जड़ से खत्म करना था. जब उन्होंने हमारे नागरिक क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना शुरू किया तो हमने भी तय कर लिया कि अगर वे हमारे गांवों पर गोले बरसायेंगे तो हम उनकी चौकियों को तबाह कर देंगे. हमारा हर गोला उनके लिए करारा जवाब था. हमने यह भी सुनिश्चित किया कि हमारे किसी नागरिक को कोई नुकसान न हो.
दो माह पहले कंपनी को जम्मू बॉर्डर पर किया गया था शिफ्ट
धीरज ने कहा कि दो माह पहले ही उनकी कंपनी को जम्मू बॉर्डर पर शिफ्ट किया गया था. पहलगाम की घटना ने हर भारतीय को झकझोर दिया था. मैं जब जम्मू में तैनात था, घर (बागुनहातु) पर रुद्राभिषेक हो रहा था. मैं फोन के जरिये घरवालों से जुड़ा था, उसी वक्त पाकिस्तान की तरफ से बमबारी शुरू हो गयी. तब मां (चमेली देवी) से आशीर्वाद लिया और तोपों का मुंह खोल दिया. ऑपरेशन सिंदूर भले ही दो दिन बाद लॉन्च हुआ, लेकिन बॉर्डर पर फायरिंग शुरू हो चुकी थी. मुझे गर्व है कि ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रहा. जब तक सांस चलेगी, भारत माता की सेवा में लगा रहूंगा.
करवट बदलते-बदलते सुबह हो जाती थी-चमेली देवी
मां चमेली देवी कहती हैं कि एक मां पर क्या बीत रही होगी, यह कोई नहीं समझ सकता. उनके दो बेटे ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए थे. पहले दिन बात हुई, उसके बाद संपर्क नहीं हो सका. करवट बदलते-बदलते सुबह हो जाती थी. मन बेचैन रहता था, लेकिन मां भारती को याद कर मन को यह कह तसल्ली देती थी कि उन्होंने ही तो फौज में भेजा है. बेटे यदि शहीद भी हो गया तो गर्व की बात होगी.
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गर्व है कि पति दिन-रात कर रहे भारत माता की सेवा-कंचन देवी
धीरज कुमार राय की पत्नी कंचन देवी ने कहा कि पहलगाम की घटना के बाद उनका मन काफी विचलित हो गया था, लेकिन जिस दिन भारतीय फौज ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर सटीक हमले किये, तो थोड़ी शांति जरूर मिली. एक बार पाकिस्तान को फाइनल सबक सिखाना जरूरी है. उन्हें गर्व है कि पति भारत माता की सेवा में दिन-रात लगे हैं.
गर्व है कि दोनों बेटे ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहे-वशिष्ठ राय
पिता वशिष्ठ राय कहते हैं कि वे खुद 1971 के युद्ध में श्रीनगर में तैनात थे. दोनों बेटों ने हिंदुस्तान मित्र मंडल स्कूल से शिक्षा हासिल कर 15-20 दिन आगे-पीछे बीएसएफ में योगदान दिया. उन्हें गर्व है कि दोनों बेटे ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहे. बेटे लड़ रहे थे तो मेरा पूरा ध्यान सीमा और मोबाइल पर बजने वाली घंटी पर ही रहता था.
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