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Success Story: स्ट्रॉबेरी की खेती से बैजू हेंब्रम की बदली जिंदगी, किसान मेले में प्रथम पुरस्कार, लखपति किसान ने अपनायी ये तकनीक

Success Story: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के किसान बैजू हेंब्रम पहले पारंपरिक खेती किया करते थे. इसकी जगह उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. आधुनिक तकनीक से हुई अच्छी आय ने उनकी जिंदगी बदल दी. किसान मेले में उन्हें प्रथम पुरस्कार भी मिला. आज वे लखपति किसान हैं.

Success Story: जमशेदपुर-पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ प्रखंड की मौदाशोली पंचायत के चुरुगोड़ा गांव में रहने वाले बैजू हेंब्रम एक युवा प्रगतिशील किसान हैं. उन्होंने अपनी चार एकड़ रैयती भूमि पर मेहनत और उद्यान विकास विभाग के सहयोग से बागवानी की दिशा में पहचान बना ली है. पारंपरिक फसलों से शुरू होकर बैजू ने जैविक खेती और उच्च मूल्य वाली फसलों में कदम रखते हुए न सिर्फ अपनी आय बढ़ायी, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने. बैजू हेंब्रम ने अपने खेतों में शिमला मिर्च, बैंगन, टमाटर, भिंडी, करेला और खीरा जैसी फसलें लगाकर शुरुआत की. उनकी मेहनत और फसलों की गुणवत्ता ने उन्हें अच्छे परिणाम दिए. इसके बाद वर्ष 2021-22 में उन्होंने उद्यान विकास योजना के तहत जिला उद्यान पदाधिकारी के मार्गदर्शन और अनुदान सहायता से शेड नेट का उपयोग कर जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. स्ट्रॉबेरी जैसी उच्च मूल्य की फसल ने उनकी आय में नयी संभावनाओं को जन्म दिया. आज वे लखपति किसान हैं.

प्रशिक्षणों में भाग ले खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाया


बैजू ने उद्यान विकास योजना के तहत विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया और खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाया. उन्होंने जैविक विधियों और संरक्षित खेती (शेड नेट) के उपयोग से न केवल अपनी उपज में सुधार आया, बल्कि पर्यावरण अनुकूल खेती का भी उदाहरण प्रस्तुत किया. बैजू का खेती में मेहनत और लगन का परिणाम वर्ष 2024-25 में देखने को मिला, जब उन्होंने कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, दारिसाई किसान मेले में अपने खेत में उगे स्ट्रॉबेरी के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया. यह पुरस्कार उनकी मेहनत और काबिलियत का प्रमाण है.

2-3 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहे


स्ट्रॉबेरी की खेती और अन्य बागवानी फसलों से बैजू हेंब्रम सालाना 2-3 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने इस आय का उपयोग अपने बच्चों की शिक्षा और परिवार की बेहतरी में किया. उनकी सफलता न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही है, बल्कि गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रही है.

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Guru Swarup Mishra
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मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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