जादूगोड़ा.
नरवा माइंस क्षेत्र में रविवार की रात उस वक्त हड़कंप मच गया, जब स्थानीय लोगों ने एक आवारा कुत्ते को विस्फोटक सामग्री (बारूद) लेकर घूमते देखा. बताया जा रहा है कि उक्त विस्फोटक का उपयोग माइंस में ब्लास्टिंग के दौरान किया जाता है. घटना की सूचना मिलते ही पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गयी. यूसिल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं.सीआइएसएफ के कमांडेंट ताराचंद ने स्पष्ट किया है कि कुत्ते के पास जो विस्फोटक मिला वह डिफ्यूज था, जिससे कोई विस्फोट की संभावना नहीं थी. उनका कहना है कि माइंस में विस्फोट के दौरान जो सामग्री अनुपयोगी हो जाती है, उसे अयस्क के साथ बाहर फेंक दिया जाता है. संभवतः वहीं से कुत्ता इसे उठाकर लाया. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि विस्फोटक के अवशेषों में रेडिएशन की संभावना होती है. इसे खुले में फेंकना न केवल पर्यावरण और मानव जीवन के लिए खतरनाक है, बल्कि यह भारी लापरवाही भी है. यह मामला यूसिल की सुरक्षा व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिह्न लगाता है.अधिकारी दे रहे गोलमोल जवाब
इस मामले में यूसिल प्रबंधन से प्रतिक्रिया लेनी चाही, तो अधिकांश अधिकारी चुप्पी साधे रहे. नरवा माइंस के मैनेजर एमके सिंह ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है. वहीं, सीआईएसएफ अधिकारियों ने पुष्टि की कि घटना के समय यूसिल के कई अधिकारी व कर्मी मौजूद थे.इस बीच, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कुत्ते के पास जो विस्फोटक था वह वास्तव में निष्क्रिय था या सक्रिय. केवल माइंस के तकनीकी अधिकारी ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं.
लगातार होती रही है सुरक्षा में चूक
नरवा माइंस में इससे पहले भी कई बार सुरक्षा चूक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. स्टोर से चोरी, ड्रोन से फोटोग्राफी जैसी घटनाएं भी रिकॉर्ड में हैं. ऐसे में यह ताजा मामला यूसिल प्रबंधन की कार्यशैली और सुरक्षा में लापरवाही को उजागर करता है.
डीजीएम ने जताई चिंता, जांच जारी
इस मामले में जब डीजीएम (माइंस) मनोरंजन महाली से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हालांकि डीजीएम राकेश कुमार ने स्वीकारा कि मामला गंभीर है और यूसिल प्रबंधन ने इसकी जांच शुरू कर दी है. दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है