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East Singhbhum News : घाटशिला विस क्षेत्र में 1962 में लहराया लाल परचम

1969 के चुनाव में झारखंड पार्टी के यदुनाथ बास्के से हार गये

घाटशिला. बास्ता सोरेन का जन्म 1 जनवरी, 1933 को घाटशिला प्रखंड की बनकांटी पंचायत (तब कांकड़ीशोल पंचायत थी) के झापड़ीसोल गांव में साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता पालू सोरेन किसान व मां सलमा सोरेन गृहिणी थी. बास्ता बाबू सादगी के प्रतीक थे. वे पैदल और साइकिल से लोगों तक पहुंचते थे. रात में किसी के घर ठहर जाते थे. जो मिला खा लेते थे. उन्होंने जगदीश चंद्र उच्च विद्यालय घाटशिला से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की. छात्र जीवन से राजनीति की ओर झुकाव रहा. वर्ष 1962 में बास्ता सोरेन ने सीपीआइ के टिकट पर घाटशिला विधानसभा का चुनाव जीता. 1969 के चुनाव में झारखंड पार्टी के यदुनाथ बास्के से हार गये. 1967 से 1972 तक मान्यता प्राप्त आइसीसी वर्कर्स यूनियन के महासचिव रहे. 1977 में काकड़ीसोल पंचायत के मुखिया चुने गये. दो दशकों तक जनता की सेवा की. बास्ता बाबू विभूति संस्कृति संसद के आजीवन सदस्य और माझी-परगना महाल के संरक्षक भी रहे. जनता के हक की लड़ाई में सदैव आगे रहे. उनके परिवार में पुत्र देव कुमार चौधरी, डॉ देवदूत सोरेन, पुत्रियां महुआ सोरेन, मौसमी सोरेन, डॉ माधुरी सोरेन और सुमित भदपुरा हैं.

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