धालभूमगढ़.
धालभूमगढ़ प्रखंड के नरसिंहगढ़ राजबाड़ी स्थित लगभग 300 वर्ष प्राचीन त्रिवेणीश्वर महादेव मंदिर आस्था का केंद्र है. सावन के महीने में लोग सुवर्णरेखा नदी से कांवर पर जल लेकर भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं. अपनी मनोकामना लेकर दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं. मंदिर के गर्भगृह में तीन शिवलिंग हैं, जो ऊपर से कटे हुए हैं. मंदिर की देखरेख कर रहे राज परिवार के नंदन सिंहदेव, रंजन सिंहदेव, अंजन सिंहदेव ने कहा कि अंग्रेजों के समय काला पहाड़ नामक लुटेरे ने तीनों शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया था. इसमें ऊपर से कट गये. इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. महाशिवरात्रि पर अपनी मनोकामना लेकर महिलाएं रात भर दीप जागरण करती हैं. कई बार लोग भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए अनशन भी करते हैं.मंदिर को राज्य सरकार ने हेरिटेज घोषित किया है
राजबाड़ी के त्रिवेणीश्वर मंदिर को झारखंड सरकार ने हेरिटेज घोषित किया है. एक बार जीर्णोद्धार भी किया गया है. मंदिर में बनी कलाकृतियों के संरक्षण के लिए आज तक कुछ नहीं किया गया. पुरातत्व विभाग की टीम ने मंदिर व मूर्तियों को करीब 300 साल पुराना बताया था. मंदिर के गर्भ गृह की छत में पंक (चिकनी मिट्टी) से विभिन्न देवी देवताओं की कलाकृतियां बनायी गयी है, जो अब धीरे-धीरे खराब हो रही हैं. इनके संरक्षण की जरूरत है. यह मंदिर बहरागोड़ा के चित्रेश्वर व ओडिशा के सिमलेश्वर के समकालीन माना जाता है. धालभूम स्टेट के तत्कालीन राजा के आवासीय परिसर में यह मंदिर स्थित है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है