गालूडीह.
लगातार बारिश से इन दिनों धान रोपनी में काफी तेजी आयी है. सुबह से शाम तक किसानों को खेतों में देखा जा रहा है. खेत की मेढ़ पर बैठ कर किसान दोपहर का भोजन वहीं कर रहे हैं. सीधे शाम को घर लौटते हैं. अब समय बहुत कम बचा है. जुलाई खत्म होने को है. अगस्त तक इस क्षेत्र के किसान रोपनी करते हैं. जितनी जल्दी रोपनी होगी, उत्पादन उतना अच्छा होगा. देर से रोपनी करने से धान में दाना नहीं पड़ पायेगा. कम समय में तेजी से रोपनी किसानों के लिए एक चुनौती है. मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. अधिकतर किसान अपने परिवार व बच्चों के साथ खेतों में उतर चुके हैं. पुरुष हल जोतकर खेत तैयार कर रहे हैं, तो महिलाएं धान का चारा उठा कर रोपनी में लगी हैं. किसान कहते हैं धान की खेती में समय सबसे महत्वपूर्ण है. समय हाथ से निकल गया तो फिर कुछ नहीं होगा. अब महज एक माह का समय बचा है. चूंकि धान की फसल 120 से 140 दिनों की होती है. अगस्त में रोपनी पूरी करने से नवंबर- दिसंबर तक धान तैयार होगा. कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि रोहनी नक्षत्र के बाद जून अंतिम से रोपनी जरूरी है.धान राेपनी के लिए मजदूरी 250 से 300 रुपये, फिर भी नहीं मिल रहे मजदूर
अच्छी बारिश के बाद किसान धान रोपनी में तेजी से जुटे हैं, पर मजदूरों की समस्या से जूझ रहे हैं. किसानाें का कहना है कि उनको धान राेपनी के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. इस बार धान रोपनी की मजदूरी 250 से 300 रुपये दी जा रही है, फिर भी मजदूर नहीं मिल रहे. हालांकि चाकुलिया थाना क्षेत्र के कुछ मजदूर के अलावे बंगाल के गांवों के कई मजदूर ट्रेन से धान रोपाई के लिए गालूडीह इन दिनों पहुंच रहे हैं. इससे किसानों को कुछ राहत मिली है.
घाटशिला में अबतक 35 प्रतिशत धान रोपनी हुई
घाटशिला.
घाटशिला में लगातार बारिश से इस बार धान की खेती में विलंब हुआ है. इस प्रखंड में अब तक मात्र 35 प्रतिशत ही धान रोपनी हुई है. किसान तेजी से धान रोपनी में जुटे हैं. अभी भी अनेक जगहों पर किसान धान का चारा ही उठा रहे हैं. उठाने के बाद रोपनी कर रहे हैं. महिलाएं धान का चारा उखाड़ने में जुटी हैं. लगातार बारिश से धान की नर्सरी नष्ट हो गयी है. घाटशिला के कृषि प्रभारी अमरनाथ पांडे ने बताया कि अब तक केवल 35 प्रतिशत ही धान रोपनी हुई है. किसान रवि हांसदा ने बताया कि लगातार बारिश से इस बार समय पर चारा तैयार नहीं कर सके इसे रोपनी में देर हो रही. सीबेन मुर्मू और सुनील मुर्मू ने बताया कि बुरूडीह इलाके में तैयार किया गया चारा बारिश में बह गया और नष्ट हो गया. प्रखंड के कालचिति, भादुआ, आसना, काड़ाडूबा, बांकी, बड़ाजुड़ी, झाटीझरना, काशिदा, पावड़ा, धरमबहाल और उत्तरी मऊभंडार समेत कई गांवों में किसान कठिन परिस्थितियों में भी धान रोपनी में जुटे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है