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सरकारी अस्पतालों में एंटी वेनम उपलब्ध, झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ें

अस्पताल में रोजाना पहुंच रहे सर्पदंश के मरीज, विभाग का दावा-जागरूकता अभियान का हुआ असर

अस्पताल में रोजाना पहुंच रहे सर्पदंश के मरीज, विभाग का दावा-जागरूकता अभियान का हुआ असर

गढ़वा. मॉनसून के मौसम जिले में सर्पदंश के मामले लगातर बढ़ रहे हैं. रोजाना जिले के सदर अस्पताल में सर्पदंश के मरीज पहुंच रहे हैं. हालांकि इस बार बारिश शुरू होने से पहले ही जिले के सभी पंचायतों में जागरूकता अभियान चलाया गया था. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अस्पताल में सर्पदंश के अधिका मामले आना जागरूकता का ही प्रमाण है. पहले ऐसे मामले में अधिकतर लोग अंधविश्वास के कारण झाड़-फूंक के चक्कर में फंस जाते थे. इस बार सदर अस्पताल के साथ-साथ जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराये गये हैं. साथ ही अस्पतालों में लोगों को बचाव के तरीके भी बताये जा रहे हैं.

जिले में लोगों को लगातार किया जा रहा जागरूक: डॉ. संतोष

जिला महामारी विशेषज्ञ डॉ. संतोष मिश्रा ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास की जड़ें गहरी हैं, फिर भी हमने सक्रियता के साथ जागरूकता अभियान चलाया है. जिसका असर भी हुआ है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध हैं. जिले में लोगों को लगातार सांप काटने पर जल्द से जल्द अस्पताल जाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. पंचायत स्तर पर इसको लेकर पहल की जा रही है.

बिना विलंब के सीधे अस्पताल पहुंचे: डॉ पीयूष

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जिले के डॉक्टर पीयूष प्रमोद ने बताया कि सर्पदंश के मामले में विलंब से इलाज शुरू होने पर मौत का जोखिम बढ़ जाता है. आम तौर पर यह देखा जाता है कि ग्रामीण इलाकों में लोग सर्पदंश के मरीजों का झाड़-फूंक कराने लगते हैं, जो काफी घातक साबित होता है. इससे बचने की जरूरत है.

हर हाल में रहें शांत

डॉक्टर पीयूष प्रमोद ने बताया कि सर्पदंश के बाद मरीजों को घबराना नहीं चाहिए और शांत रहना चाहिए. विषैले सांप के डसने के बाद भी मौत के खतरे से बचा जा सकता है. अधिकतर लोग विषैल सांप के डसने से डर से हार्ट अटैक का शिकार हो जाते हैं, इसलिए ऐसे समय में मरीजों को शांत रहने की जरूरत है. साथ ही डॉ पीयूष ने मरीजों के परिजनों से ऐसे वक्त में हौसला देने की अपील की है.

सर्पदंश से बचाव के लिए इसका रखें ध्यान

– मच्छरदानी लगाकर सोये

– रात में अंधेरे में घर से बाहर निकलने से बचें

– सर्पदंश के मामले में विलंब किये बिना मरीज को अस्पताल पहुंचायें

– रात में जमीन पर न सोये

– शयन कक्ष (सोने वाले कमरे) में रात में लाइट जलाकर रखें

– घर के आसपास साफ-सफाई रखें

– तेज गंध वाले फिनायल से घरों में पोंछा लगायें

सर्पदंश के मामले में एवीएस कारगर

नियो ह्यूमन फाउंडेशन के उपाध्यक्ष मुरारी सिंह ने बताया कि एवीएस सर्पदंश (स्नेक बाइट) के इलाज की कारगर औषधि है. इसे स्लाइन के साथ मरीज को चढ़ाया जाता है. यह दवा जिला अस्पताल के साथ-साथ प्रखंड मुख्यालय में संचालित पीएचसी और सीएचसी में उपलब्ध रहती है. गढ़वा में पिछले तीन माह में संर्पदंश के 161 मामले सदर अस्पताल में पहुंचे हैं. मुरारी सिंह ने बताया कि निचले इलाकों में पानी भरने के बाद सांप ऊपरी इलाके जैसे घरों में घुस जाते हैं. घर के अंदर लोग अकसर करैत सांप के शिकार हो जाते हैं. वहीं घर के बाहर रसल वाइपर व कोबरा की चपेट में आ जाते हैं.उन्होंने बताया कि करैत निशाचर (नोक्चर्नल) सांप है.

सर्पदंश के बाद पीड़ित को चलने न दें

जानकारों की माने तो सर्पदंश के बाद पीड़ित को बिल्कुल चलने-फिरने न दें. उसे आराम से बैठाकर बाइट वाले स्थान को साबुन से धोया जा सकता है. पीड़ित का रक्त संचार न बढ़े, इसके लिए बाइट वाले स्थान के ऊपर लंबी पट्टी बांधी जा सकती है. पीड़ित को यह नहीं बताये कि उसे जहरीले सांप ने काटा है. इससे उसका मनोबल गिर सकता है और उसका रक्त संचार भी बढ़ सकता है. ऐसी स्थिति में मरीज का रक्त संचार सामान्य रखना जरूरी होता है. उसे दिलासा दें और जितनी जल्दी हो सके उसे अस्पताल ले जायें. जानकारी के अनुसार सर्पदंश के बाद एक से दो घंटा गोल्डन ऑवर होता है.

जिले में वाइपर, करैत और कोबरा विषैले सांप

गढ़वा व पलामू विशेष रूप से तीन ही विषैले सांप पाये जाते हैं, जिनमें वाइपर, करैत और कोबरा शामिल है. इनमें सर्वाधिक बाइट के मामले रसेल वाइपर के होते हैं. वहीं सबसे कम बाइट कोबरा का होता है. इसके अलावा जिले में डोंड, धामण, होरहोरा, कुकरी, दोमुंहा, सांखड़, तक्षक, अजगर, लाल धामण, बैंडेड रेसर, सहित अन्य विषहीन सांप पाये जाते हैं.

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