गढ़वा. शहीद भगत सिंह की याद में रविवार को ज्ञान विज्ञान समिति एवं इप्टा की ओर से शहादत दिवस का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष संजय तिवारी ने की. उन्होंने कहा कि भगत सिंह के समाजवादी और समतावादी दर्शन को आज के भारत में पुनर्जागृत करने की जरूरत है. भगत सिंह ने हमें शोषण और साम्राज्यवाद से मुक्ति का रास्ता दिखाया है, लेकिन आज मोदी सरकार की नीतियां मज़दूरों, किसानों और गरीबों के खून से पूंजीपतियों की तिजोरियां भर रही हैं. ग्लोबल मीडिया मानवाधिकारों और प्रेस स्वतंत्रता पर सवाल उठा रहा है. यह वह भारत नहीं है, जिसके लिए भगत सिंह ने फांसी के फंदे को चूमा था. मौके पर नमस्कार तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार सामाजिक न्याय और समानता की कब्र खोद रही है. दलित, अल्पसंख्यक और महिलाएं हाशिये पर धकेले जा रहे हैं और धार्मिक-जातिगत भेदभाव खुलेआम खिलवाड़ कर रहा है. भगत सिंह का सपना था एक ऐसा भारत जहाँ बराबरी हो, न कि जहां डर और दमन का राज हो. मौेके पर गौतम ऋषि ने कहा कि दुनिया देख रही है कि भारत में प्रेस स्वतंत्रता और मानवाधिकार खतरे में हैं. अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरे बिठाये जा रहे हैं. भगत सिंह ने कहा था कि सच्ची आजादी तब तक अधूरी है, जब तक हर नागरिक बिना डर के सच बोल न सके. मौके पर विपिन तिवारी ने कहा कि सरकार की नीतियां पूंजीवाद की चेरी बन चुकी है. अमेरिका जैसे देशों के साथ विवादास्पद गठजोड़ भारत को गुलामी की नयी बेड़ियों में जकड़ रहा है. यह भारत भगत सिंह का नहीं, शोषकों और दमनकारियों का है.
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