टपकती छत, अधूरी दीवारें , बारिश के मौसम में स्थिति हो जाती है भयावह
रंका. शिक्षा को लेकर सरकार लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत अब भी भयावह है. रंका प्रखंड के कंचनपुर प्राथमिक विद्यालय के बच्चे आज भी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. पानी टपकती छत, टूटे फर्श, उजड़ी खिड़कियों और अधूरी चहारदीवारी के बीच यह विद्यालय खुद अपनी बदहाली की कहानी बयां कर रहा है. करीब 150 बच्चों के नामांकित इस विद्यालय में मात्र तीन कमरे उपयोग में हैं, जबकि दो कमरे पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं और दो अन्य पिछले 10 वर्षों से अधूरे पड़े हैं. बरसात के मौसम में हाल और भी भयावह हो जाता है, जब छत और दीवारों से पानी रिसता है, रसोईघर भी जलभराव से अछूता नहीं रहता. बच्चों को या तो रिसते पानी के नीचे बैठना पड़ता है या टपकती छत से बचते हुए पढ़ाई करनी होती है.
अधूरी चहारदीवारी के कारण मवेशियों का आतंकविद्यालय की चहारदीवारी अधूरी है और गेट तक नहीं लगा है, जिससे मवेशी बेरोकटोक परिसर में घुस आते हैं और लगाए गए पौधों को नष्ट कर देते हैं. सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है, जिससे बच्चों और शिक्षकों में हमेशा भय बना रहता है.
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