शैक्षणिक संस्थाओं को कार्मिक व प्रशासनिक विभाग से मान्यता देने की मांग प्रतिनिधि गढ़वा. झारखंड के सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) फिर से आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं. सहायक अध्यापकों ने मुख्यमंत्री कार्यालय को आवेदन प्रेषित कर आंदोलन करने की चेतावनी दी है. गैर मान्यता प्राप्त शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक संस्थाओं को कार्मिक व प्रशासनिक विभाग से मान्यता देने, राज्य के करीब 1700 सहायक अध्यापकों को फर्जी शैक्षणिक संस्थान का हवाला लिए गये कार्य मुक्त के फैसले को अविलंब निरस्त करने, सभी सहायक अध्यापकों को समान कार्य समान वेतन देने आदि की मांग को लेकर सहायक अध्यापकों ने आगामी चार से सात अगस्त तक विधानसभा का घेराव करने की घोषणा की है. सहायक अध्यापकों ने मुख्यमंत्री को प्रेषित आवेदन में उल्लेख किया है कि हिंदी विद्यापीठ देवघर की तर्ज पर संचालित विभिन्न शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक संस्थानों से उतीर्णता के आधार पर कई सहायक अध्यापक 20 वर्षों से कार्यरत हैं. जबकि वर्तमान में विभाग अन्य संस्थानों को फर्जी अथवा गैर मान्यता प्राप्त बताकर संबंधित सहायक अध्यापकों को कार्य करने पर रोक लगा दी है. आवेदन में उल्लेख किया गया है कि उस समय ऐसे सभी विश्वविद्यालय संचालित थे. साथ ही काफी संख्या में विद्यार्थी भी अध्ययनरत थे. जबकि विभाग द्वारा प्रमाण पत्र सत्यापन के नाम पर सहायक अध्यापकों से तीन बार शुल्क जमा कराया गया था. फिर भी उस समय सत्यापन नहीं कराते हुये वर्ष 2024 में कराया गया. जबकि जिस सत्र में संबंधित सहायक अध्यापक अध्ययनरत थे उस समय संस्थान भी सुचारू रूप से संचालित थे. सौंपे गये मांग पत्र में राज्य के सभी सहायक अध्यापकों को समान कार्य के बदले समान वेतन देने, सहायक अध्यापक की सेवानिवृति 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने आदि की मांग शामिल है.
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