गढ़वा के जुड़ी हैं गुरूजी की यादें, निधन के बाद लोगों की आंखे हुई नम
केतार के विकास में गुरुजी का अमुल्य योगदान
गढ़वा जिला के अंतिम छोर पर स्थित केतार को प्रखंड का दर्जा देकर गुरुजी सिबू सोरेन ने इलाके के विकास में अमुल्य योगदान दिया. दो दशक पूर्व केतार को उग्रवाद का मजबूत गढ़ माना जाता था. विकास के नाम पर यहां घुप्प अंधेरा था. साथ ही इलाके में एक भी थाना नहीं था. यहां आने में सरकारी अधिकारी भी डरते थे. तब आम लोगों को किसी भी सरकारी कार्य के लिए 15 किलोमीटर दूर भवनाथपुर जाना पड़ता था. प्रारंभ में यहां प्रखंड कार्यालय का काम महज दो कमरे के पुराने पंचायत भवन से शुरू किया गया. पहले प्रभारी प्रखंड विकास पदाधिकारी के रूप में विद्यासागर की नियुक्ति हुई. प्रखंड बनने के बाद केतार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरे-धीरे उग्रवाद खत्म हुआ और विकास की बयार बहने लगी. लोग अधिकार के प्रति जागरूक हुए. सरकारी योजनाएं लाभ इलाके के लोगों को मिला. गुरुजी शिबू सोरेन के निधन के बाद केतार के प्रखंड कार्यालय से लेकर विद्यालयों, सरकारी संस्थाओं और विभिन्न राजनीतिक दलों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. जनता ने उनके उस सपने और संघर्ष को याद किया, जिसने झारखंड को राज्य और केतार को प्रखंड बनाया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है