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केतार व विशुनपुरा प्रखंड का शिबू सोरेन ने किया था उद्घाटन

गढ़वा के जुड़ी हैं गुरूजी की यादें, निधन के बाद लोगों की आंखे हुई नम

गढ़वा के जुड़ी हैं गुरूजी की यादें, निधन के बाद लोगों की आंखे हुई नम

संदीप कुमार, केतार. गढ़वा के केतार और विशुनपुरा प्रखंड के साथ दिशोम गुरु शिबू सोरेन की यादें जुड़ी हुई हैं. शिबू सोरेन के निधन की खबर सुनते ही लोगों की आंखं नम हो गयी. लोगों ने शिबू सोरेन से जुड़ी पुरानी बातों को याद किया. वर्ष 2008 में सिबू शोरेन जब राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब उन्होंने जिले के लोगों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा किया था. उस वक्त उन्होंने केतार व विशुनपुरा प्रखंड की सौगात स्थानीय लोगों को दी थी. उस समय उनके मंत्रीमंडल में भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक भानु प्रताप शाही स्वास्थ्य मंत्री हुआ करते थे. भानु प्रताप ने केतार व विशुनपुरा को प्रखंड बनाने में सक्रिया से प्रयास किया था, जिसके बाद 2 नवंबर 2008 को शिबू सोरेन ने नवसृजित केतार व विशुनपुरा प्रखंड का उद्घाटन किया था. इस मौके पर आयोजित सभा की अध्यक्षता तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सह विधायक भानु प्रताप शाही ने की थी. विशुनपुरा रमना से अलग होकर प्रखंड बना, जबकि भवनाथपुर से अलग हो कर केतार प्रखंड बना था.

केतार के विकास में गुरुजी का अमुल्य योगदान

गढ़वा जिला के अंतिम छोर पर स्थित केतार को प्रखंड का दर्जा देकर गुरुजी सिबू सोरेन ने इलाके के विकास में अमुल्य योगदान दिया. दो दशक पूर्व केतार को उग्रवाद का मजबूत गढ़ माना जाता था. विकास के नाम पर यहां घुप्प अंधेरा था. साथ ही इलाके में एक भी थाना नहीं था. यहां आने में सरकारी अधिकारी भी डरते थे. तब आम लोगों को किसी भी सरकारी कार्य के लिए 15 किलोमीटर दूर भवनाथपुर जाना पड़ता था. प्रारंभ में यहां प्रखंड कार्यालय का काम महज दो कमरे के पुराने पंचायत भवन से शुरू किया गया. पहले प्रभारी प्रखंड विकास पदाधिकारी के रूप में विद्यासागर की नियुक्ति हुई. प्रखंड बनने के बाद केतार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरे-धीरे उग्रवाद खत्म हुआ और विकास की बयार बहने लगी. लोग अधिकार के प्रति जागरूक हुए. सरकारी योजनाएं लाभ इलाके के लोगों को मिला. गुरुजी शिबू सोरेन के निधन के बाद केतार के प्रखंड कार्यालय से लेकर विद्यालयों, सरकारी संस्थाओं और विभिन्न राजनीतिक दलों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. जनता ने उनके उस सपने और संघर्ष को याद किया, जिसने झारखंड को राज्य और केतार को प्रखंड बनाया.

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