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शिवढोंढा मंदिर का सावन में विशेष महत्व, दूसरे राज्यों से भी आते हैं श्रद्धालु

सावन में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए लगा रहता है भक्तों का तांता

सावन में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए लगा रहता है भक्तों का तांता राजकमल तिवारी गढवा. गढ़वा शहर में श्रद्धा और आस्था का केंद्र है प्राचीन शिवढोंढा मंदिर. पवित्र माह सावन में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. वैसै इसकी स्थापना के कब हुई थी इसका कहीं उल्लेख नहीं है, लेकिन लोगों की मानें तो इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. पहले यहां चबूतरे में शिवलिंग की स्थापना की गयी थी, जो अब मंदिर का स्वरूप ले चुकी है. मंदिर के बगल से ढोंढा नदी बहती थी , इसलिए इस स्थान को शिवढोंढा के रूप में प्रसिद्धि मिली . शहर के सोनपुरवा में स्थित है मंदिर प्राचीन शिवढोंढा मंदिर गढ़वा शहर के सोनपुरवा में स्थित है. शहर के अलावा ग्रामीण इलाके से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए इस स्थान पर आते हैं. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से इस दरबार में मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूर्ण होती है. सावन माह में यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करने वालों का तांता लगा रहता है. सोमवार को यहां विशेष भीड़ होती है. मंदिर समिति द्वारा सावन के प्रत्येक सोमवार को भंडारा का भी आयोजन किया जाता है, जबकि शिवरात्रि के मौके पर प्रत्येक वर्ष भव्य मेला का भी आयोजन किया जाता है. बता दें कि बीते 21 जुलाई को पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर भी यहां पहुंचे थे. उन्होंने इस धार्मिक स्थल के विकास में अपेक्षित सहयोग का भरोसा दिया है . वर्ष 2018 में हुआ था जीर्णोद्धार प्राचीन शिवढोंढा मंदिर का जीर्णोद्धार वर्ष 2018 में स्थानीय लोगों ने कमेटी बनाकर जन सहयोग से किया था. इस कमेटी में रामाश्रय पांडेय, दिलीप कुमार, नंदू गौड़, मनोज केसरी बलवंत पांडे आदि ने अपनी सक्रिय भूमिका निभायी थी. बता दें कि सावन को लेकर शंकर माली, अनिल चंद्रवंशी, संतोष प्रसाद, नंदू गौड़, दीनानाथ कुमार आदि ने मंदिर को सजाने में सहयोग किया है, जिसके कारण इसकी भव्यता बढ़ गयी है. निकाली जाती है कांवर यात्रा शिवढोंढा में जलाभिषेक के लिए कांवर यात्रा भी निकलती है. इसके लिए मंदिर से सटे तालाब से जल लेकर भक्त कांवरियां के वेश में इस मंदिर के साथ लहसुनिया पहाड़ स्थित घटवार बाबा के मंदिर में भी जल चढ़ाते हैं. सैकड़ों साल पुराना है मंदिर का इतिहास सोनपुरवा निवासी गौतम कुमार ने बताया कि पूर्वजों की माने तो इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. यहां पर एक छोटा तालाब भी है, जिसमें साल भर पानी रहता है. इस स्थान पर दर्शन के लिए दूसरे राज्य से भी श्रद्धालु आते हैं. इसके बगल में तालाब होने से इसके मंदिर की सुंदरता और भी बढ़ जाती है. मंदिर परिसर में भगवान हनुमान का भी मंदिर है. मंदिर परिसर में एक विशाल बट वृक्ष है, जो सैकड़ो साल पुराना है.

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