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जिले का सीडी रेसियो सिर्फ 43%, बैंक नहीं दिखा रहे ऋण वितरण में रुचि

राज्य औसत से भी नीचे प्रदर्शन, किसान-मुद्रा-रोजगार योजनाओं में लक्ष्य से कोसों दूर

राज्य औसत से भी नीचे प्रदर्शन, किसान-मुद्रा-रोजगार योजनाओं में लक्ष्य से कोसों दूर पीयूष तिवारी, गढ़वा गढ़वा जिले में बैंकिंग व्यवस्था का हाल चिंताजनक बना हुआ है. जिले का क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो (सीडी रेसियो) महज 43 प्रतिशत पर सिमटा है, जबकि झारखंड का औसत 50 प्रतिशत से ऊपर है. इसका सीधा असर किसानों, बेरोजगारों और छोटे व्यवसायियों को मिलनेवाले ऋण पर पड़ रहा है. जिले में कार्यरत 24 बैंकों की 88 शाखाएं होने के बावजूद बैंकों की ओर से आम लोगों को कर्ज देने में अनिच्छा दिखाई जा रही है. यह मुद्दा हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के गढ़वा आगमन के दौरान मंच से भी उठा, जहां बैंकों की निष्क्रियता को लेकर चिंता जतायी गयी थी. कर्ज मांगने वालों की लंबी कतार, बैंक फिर भी उदासीन गढ़वा में मुद्रा लोन, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना जैसी योजनाओं के तहत ऋण के लिए हजारों आवेदन लंबित हैं. तीन-तीन महीने में आयोजित होनेवाली जिला स्तरीय बैठकों (डीएलसीसी और दिशा) में भी बैंकों को निर्देश दिया जाता है कि वे ऋण वितरण में सक्रियता बढ़ायें, लेकिन जमीन पर कोई सुधार नहीं दिख रहा. केसीसी वितरण में ग्रामीण बैंक सबसे आगे, कई बैंक शून्य पर वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले में 23439 किसानों को केसीसी के तहत 21171 लाख रुपये का ऋण दिया गया. इसमें सबसे अधिक योगदान झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक का रहा, जिसने 15735 किसानों को 16020 लाख रुपये का कर्ज दिया. यह लक्ष्य का 99.29 प्रतिशत है. वहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 4048 किसानों को 2714 लाख रुपये का कर्ज दिया, जो लक्ष्य का महज 32.39% है. अन्य कयी बैंकों ने तो एक भी किसान को ऋण नहीं दिया। मुद्रा योजना में इंडसइंड बैंक ही सबसे सक्रिय प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत जिले में कुल 44244 खाताधारकों को 31144 लाख रुपये का कर्ज दिया गया. इसमें अकेले इंडसइंड बैंक ने 33239 लाभार्थियों को 17027 लाख रुपये का कर्ज दिया. बाकी बैंकों की भागीदारी बेहद कम रही. रोजगार सृजन योजना: सिर्फ 54 लोगों को मिला ऋण स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत जिले में 194 आवेदन आए, लेकिन सिर्फ 54 लोगों के प्रोजेक्ट को ही बैंकों ने स्वीकृति दी. इसके तहत महज 192.51 लाख रुपये का ऋण वितरित किया गया. गढ़वा की तुलना अन्य जिलों से ठीक नहीं : एलडीएम अग्रणी बैंक प्रबंधक सत्यदेव कुमार रंजन ने कहा कि गढ़वा में उद्योग-धंधों की संभावनाएं कम हैं, इसीलिए लोग ऋण लेने में रुचि नहीं लेते. ऐसे में सीडी रेसियो की तुलना दूसरे जिलों से करना उचित नहीं है. क्या है सीडी रेसियो सीडी रेशियो का मतलब है क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो. यह किसी बैंक की कुल जमा राशि में से कितना हिस्सा कर्ज के रूप में दिया गया है, यह दर्शता है. इसे कुल ऋणों को कुल जमा राशि से विभाजित करके प्रतिशत में दर्शाया जाता है. निचला सीडी रेसियो संकेत है कि बैंक सिर्फ पैसा जमा कर रहे, लेकिन निवेश नहीं कर रहे. अगर यह स्थिति बदली तो जिले में स्वरोजगार, खेती और छोटे उद्योगों की तस्वीर भी बदल सकती है.

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