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Hazaribagh News: इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का हाल बदहाल, 14 सालों से स्कूल में नहीं हैं प्रिंसिपल

Hazaribagh News: हजारीबाग के इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का हाल शिक्षकों के अभाव में बदहाल है. यहां 14 सालों से प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं हुई है. केवल दो शिक्षिका के भरोसे पूरा स्कूल चल रहा है. इनमें से एक शिक्षिका अगस्त में रिटायर हो जायेंगी. हालांकि, इस स्कूल का रिजल्ट हमेशा बेहतर रहा है.

Hazaribagh News | हजारीबाग, आरिफ: झारखंड में राज्य स्तर पर इकलौता आवासीय स्कूल है, इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय. इस विद्यालय ने अपने स्थापना के 41 साल पूरे कर लिये हैं. इसकी स्थापना 27 जनवरी 1984 को हुई है. विद्यालय की छात्राओं ने शुरू से मैट्रिक में राज्य स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर स्कूल एवं हजारीबाग जिले का नाम रौशन किया है. इस पूरी अवधि में एक भी छात्रा परीक्षा में असफल नहीं हुई है.

शिक्षक और नॉन-टीचिंग स्टाफ की कमी

जानकारी के अनुसार, 41 सालों में 2500 से अधिक छात्राओं ने विद्यालय से मैट्रिक परीक्षा पास की है. जबकि 3000 से अधिक छात्राओं का नामांकन लिया गया है. इसमें कुछ लोगों ने पढ़ाई छोड़ी दी जबकि कुछ छात्राएं परीक्षा में शामिल नहीं हुई. वहीं, दूसरी ओर बहाली नहीं होने से 41 सालों में विद्यालय में टीचर्स और नॉन-टीचिंग स्टाफ में कमी आयी. विद्यालय में 102 पद हैं, लेकिन केवल 23 लोग काम कर रहे हैं.

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केवल एक शिक्षिका पर टिका छात्राओं का भविष्य

इनमें से 27 पद में केवल दो शिक्षिका कार्यरत हैं. इन दो शिक्षिकाओं में से एक रेनू ठाकुर भी 31 अगस्त 2025 को सेवानिवृत्त हो जायेंगी. जबकि 75 नॉन-टीचिंग स्टाफ के पदों में 15 पर ही स्टाफ कार्यरत हैं. इनमें से संगीता सिंह 31 जुलाई एवं प्रीति लता बरवा 31 अक्टूबर को सेवानृवित हो जायेंगी. इसका मतलब है कि सितंबर 2025 से पूरा स्कूल मात्र एक शिक्षिका कामिनी के भरोसे चलेगा, जो 2027 में रिटायर होने वाली हैं.

कई सालों से प्रिंसिपल का पद खाली

वहीं, बिहार के समय नियुक्त प्राचार्या अन्नदा तिवारी 31 मई 2011 को सेवानृवित हो गयी. इसके बाद 15 सालों से स्कूल में प्राचार्या का पद खाली है. ऐसे में सीनियरिटी के हिसाब से स्कूली शिक्षिकाओं को प्रभारी प्राचार्या बनाया गया है. 10 फरवरी 2025 से जिला शिक्षा पदाधिकारी सह प्रभारी क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक प्रवीण रंजन प्रभारी प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं.

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2017 में मिला प्लस टू स्कूल का दर्जा

इधर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं बेहतर रिजल्ट को देखते हुए इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय को 2017 में प्लस टू स्कूल का दर्जा मिला गया. इसमें एक सांइस फैकल्टी की पढ़ाई चलती है. नौ सालों में करीब 173 छात्राएं प्लस टू में सफल हुई हैं. इस साल स्कूल को एक और उपलब्धि मिली है. कक्षा छह में नामांकन के लिए छात्राओं की संख्या 75 से बढ़ाकर 100 की गयी है.

ब्रिटिश काल की याद दिलाती स्कूल की बिल्डिंग

ब्रिटिश शासन काल में बने हजारीबाग के खाली पड़े पुराने जेल को इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बनाया गया है. यह 52.12 एकड़ एरिया में फैला है. यह हजारीबाग के लिए किसी धरोहर से कम नहीं है. यहां आकर ब्रिटिश काल की बनी दीवारें, इसमें नक्काशी, बड़ा मुख्यद्वार इसमें लगे लोहे के गेट सहित अन्य कई चीजें देखने पर अंग्रेजी हुकूमत के समय की यादें ताजा हो जाती हैं. हालांकि, समय के साथ स्कूल के बाहरी एवं भीतरी हिस्से को लाखों रुपये की लागत से मरम्मती की गई. लेकिन आज भी इसकी बनावट एवं सजावट लोगों को अपने ओर देखने के लिए आकर्षित करता है.

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हजारीबाग डीईओ ने क्या कहा

हजारीबाग के डीईओ (DEO) सह प्रभारी क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक प्रवीण रंजन ने कहा शुरू में बहाल एक-एक शिक्षिकाएं समय के साथ सेवानिवृत्त हो रही हैं. सीमित संसाधन में भी छात्राओं को बेहतर शिक्षा मिल रहा है. जुगाड़ के माध्यम से विषयवार शिक्षकों की व्यवस्था की गई है. विद्यालय के बेहतर संचालन को लेकर आयुक्त स्तर पर कमेटी बनी है. 10 फरवरी को प्रभार लेने के बाद स्कूल में डीएमएफटी मद से शिक्षण सामग्री उपलब्ध किया गया है. साथ ही 13 स्मार्ट बोर्ड लगाये गये.

छात्राओं के लिए खरीदे 175 अलमीरा

डीईओ ने बताया कि छात्राओं की निजी सामग्री रखने को लेकर 175 अलमीरा की खरीद की गई. मैट्ट्रेस से लेकर किचन में रोटी मेकर मशीन, वाटर कूलर खरीदी गई है. किसी अनहोनी से बचाव के लिए अग्निशामक यंत्र लगाये गए हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर 89 दिन की छुट्टी को विभागीय आदेश के बाद 60 दिन किया गया है. शिक्षिका एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की कमी के बावजूद स्कूल के बेहतर संचालन को लेकर सभी उपाय किए गए हैं. छात्र एवं अभिभावक सहित सभी प्रकार की शिकायत को गंभीरता से लिया गया है. आवासीय स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को मेनू के अनुसार खाना एवं दूसरी सभी सुविधाएं प्रदान की गई है.

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Rupali Das
Rupali Das
नमस्कार! मैं रुपाली दास, एक समर्पित पत्रकार हूं. एक साल से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं. यहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पहले दूरदर्शन, हिंदुस्तान, द फॉलोअप सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी काम करने का अनुभव है.

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