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लॉकडाउन इम्पैक्ट : कभी करते थे राजमिस्त्री का काम, आज लकड़ी बेचने को मजबूर हैं सुनील

Hazaribag news, Jharkhand news : मुंबई, दिल्ली एवं ओड़िशा से आने वाले प्रवासी मजदूर 14 से 30 दिन तक कोरेंटिन में रहने के बाद अब जीविका यापन पर ध्यान देने लगे हैं. राजमिस्त्री का काम नहीं मिलने से कोई जंगलों से सूखी लकड़ियों को इकट्ठा कर बाजार में बेचने को मजबूर हैं, तो कोई सड़क किनारे ठेला लगाकर किसी तरह खुद को जिंदा रखा है.

Hazaribag news, Jharkhand news : बड़कागांव (हजारीबाग) : मुंबई, दिल्ली एवं ओड़िशा से आने वाले प्रवासी मजदूर 14 से 30 दिन तक कोरेंटिन में रहने के बाद अब जीविका यापन पर ध्यान देने लगे हैं. राजमिस्त्री का काम नहीं मिलने से कोई जंगलों से सूखी लकड़ियों को इकट्ठा कर बाजार में बेचने को मजबूर हैं, तो कोई सड़क किनारे ठेला लगाकर किसी तरह खुद को जिंदा रखा है. पढ़ें, संजय सागर की रिपोर्ट.

सूखी लकड़ी बेचते सुनील

हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड स्थित अंबेडकर मोहल्ला निवासी सुनील राम पिछले माह मुंबई से बड़कागांव घर वापस आये. वापस आने पर पहले कोरेंटिन सेंटर में रहे, इसके बाद ही घर गये. सुनील मुंबई में राजमिस्त्री का काम करते थे. लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया था. काफी खर्च कर घर पहुंचा. लेकिन, अब सुनील के सामने जीवन यापन की समस्या उत्पन्न हो गयी है.

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10,000 भाड़ा देकर निजी बस से मुंबई से बड़कागांव आये. कोरेंटिन से आने के बाद अपने गांव में ही राजमिस्त्री का काम कर रहे हैं. सुनील राम का कहना है कि हर दिन राजमिस्त्री का काम नहीं मिलता है. इस कारण घर में कोई काम नहीं रहने पर जंगल से सूखी लकड़ी लाने को मजबूर होना पड़ता है, ताकि किसी तरह से परिवार को दो जून की रोटी मिल सके.

मुंबई से आये हेमंत सड़क पर लगा रहे चौमिन की दुकान

मुंबई से आने वाले हेमंत कुमार कोरेंटिन में रहने के बाद अब चौमिन का दुकान लगा रहे हैं. हेमंत ने अपने साथ 4 युवकों को रोजगार दिया. वहीं, विकास कुमार राम का कहना है कि अभी तो कहीं राजमिस्त्री का काम नहीं मिल रहा है. इस कारण घर में बैठे हुए हैं. प्रवासी मजदूर बढ़न राम राजमिस्त्री का काम कर जीवन यापन कर रहे हैं.

काम नहीं मिलने से आर्थिक तंगी

ओड़िशा से आने वाले प्रवासी मजदूर अंकित कुमार राम एवं मनीष कुमार भुईयां, राजू भुईयां कुली का काम करते हैं. दोनों मजदूर मई माह में लॉकडाउन के कारण बड़कागांव पहुंचे थे. कोरेंटिन में रहने के बाद इन्हें कोई रोजगार नहीं मिला है. काम नहीं मिलने के कारण अब घर में बैठे हुए हैं. इन मजदूरों का कहना है कि काम नहीं मिलने के कारण घर में आर्थिक तंगी उत्पन्न हो गयी है. मजदूरों का कहना है कि अब तक सरकारी मदद नहीं मिल पायी है. इसलिए पेट चलाना मुश्किल है.

Posted By : Samir ranjan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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