3bg1में- बड़कागांव में ट्रक से निकलते धुंए संजय सागर बड़कागांव. बड़कागांव केरेडारी टंडवा सड़क पर दौड़ रहे पुराने व कंडम वाहनों ने खतरे में डाल दिया है. वर्षों से इन वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है. जो केवल यातायात जाम और ध्वनि प्रदूषण ही नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण का भी कारण बनता जा रहा है. पुराने एवं कंडम वाहनों के अलावा क्षेत्र में लगभग 550 से अधिक हाइवा, बालू ढोने वाले 500 ट्रैक्टर बड़कागांव के सड़कों में चलते हैं. इन वाहनों से निकलने वाला धुआं, जिसमें मुख्यतः कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी घातक गैसें शामिल हैं. बड़कागांव क्षेत्र के वायुमंडल को विषाक्त बना रहा है. विषाक्त धुएं निकालने वाले वाहनों की जांच नहीं की जाती है. यह सवाल प्रदूषण जांच केंद्र पर उठने लगी है. किन विभागों की है जिम्मेवारी आरटीओ (रोड ट्रांसपोर्ट ऑफिस), ट्रैफिक पुलिस व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इन सबकी जिम्मेवारी बनती है, कि वे इन कंडम वाहनों पर रोक लगाएं और प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करें, लेकिन आपस में समन्वय और गंभीरता की कमी के कारण स्थिति बिगड़ती जा रही है. इन वाहनों के प्रति कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है और न ही नियमित जांच की जा रही है. आवश्यकता है कि प्रशासन इस समस्या का समाधान निकाले. सबसे पहले, एक ठोस योजना बनायी जानी चाहिए, जिसमें पुराने व कंडम वाहनों की पहचान करना और उन्हें सड़क से हटाना शामिल हो. इसके अलावा, नियमित रूप से वायु गुणवत्ता की निगरानी करना और आवश्यकतानुसार कानून लागू करना अनिवार्य है. साथ ही लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है कि वे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार रहें और नए तथा ईको-फ्रेंडली वाहनों का चयन करें. सभी मिलकर करें प्रयास. सुधर सकता है वायु की गुणवत्ता शहर की जनता भी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और स्थानीय संगठन तथा एनजीओ इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे हैं. यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो हम अपनी शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं.
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