हजारीबाग. हजारीबाग में डायसिस के पल्ली पुरोहितों के संत संरक्षक संत जॉन मेरी बियानी का पर्व चार अगस्त को मनाया जायेगा. सभी पुरोहितों इन्हें श्रद्धांजलि देंगे. मौके पर महागिरजाघर कैथोलिक आश्रम हजारीबाग में पूजा विधि के समय काफी संख्या में लोग उपस्थित होंगे. धर्माध्यक्ष विश्व आनंद जोजो ने बताया कि संत जॉन मेरी बियानी ने प्रेम और सत्य की राह पर चलना सिखाया. संत जॉन मेरी बियानी का जन्म आठ मई 1786 को फ्रांस के डार्डिली गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. वह बचपन से ही अपनी माता के प्रार्थना जीवन से प्रभावित थे. उनकी शिक्षा सीमित थी और सेमिनरी में पढ़ाई के दौरान उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. उनकी कमजोर शैक्षणिक योग्यता के कारण उन्हें सेमिनरी से निकाल दिया गया, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम ने उन्हें पुरोहित बनने का मार्ग प्रशस्त किया. 1815 में वे पुरोहित बने और 1818 में फ्रांस के आर्स गांव में पल्ली पुरोहित नियुक्त हुए. आर्स गांव उस समय नैतिक और धार्मिक रूप से पतन की स्थिति में था. लोग सांसारिक सुखों और पापमय जीवन में डूबे थे. संत जॉन मेरी बियानी ने इस गांव को बदलने का संकल्प लिया. वह 24 घंटे में 18 घंटे प्रभु की सेवा, प्रार्थना और लोगों के उत्थान में समर्पित रहे. युवाओं, बच्चों और विवाहित जोड़ों को धार्मिक शिक्षा और संस्कार प्रदान करने के लिए घर-घर गये. उनकी कठोर तपस्या, विनम्रता और प्रभु के प्रति अटूट भक्ति ने आर्स को प्रेम और शांति का स्थान बना दिया. आज एक सौ से अधिक पुरोहित गांवों में जाकर अपनी सेवा दे रहे हैं.
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