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Jamshedpur News : लंबी प्रतीक्षा खत्म, 12 साल बाद 21 प्राइवेट स्कूलों को मिलेगी आरटीइ की मान्यता

जिले में प्रशासनिक उदासीनता के बीच अब जाकर शिक्षा अधिकार कानून की दिशा में हलचल दिखने लगी है. पूर्वी सिंहभूम में 12 साल बाद 21 प्राइवेट स्कूलों को आरटीइ की मान्यता मिलने की उम्मीद जगी है, जबकि 331 स्कूल अब भी बिना वैधानिक मंजूरी के संचालित हो रहे हैं.

आरटीइ मान्यता के लिए आज तक प्रशासन ने नहीं की एक भी बैठक

बगैर मान्यता के 331 निजी स्कूलों का संचालन

मुख्य बातें– एक अप्रैल 2010 को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया गया- स्कूलों को मान्यता लेने के लिए 31 मार्च 2013 तक मिला था समय

– बगैर मान्यता के चलने वाले स्कूलों पर प्रति दिन 10,000 रुपये का लग सकता है अर्थदंड

वरीय संवाददाता, जमशेदपुर

जिले में प्रशासनिक उदासीनता के बीच अब जाकर शिक्षा अधिकार कानून की दिशा में हलचल दिखने लगी है. पूर्वी सिंहभूम में 12 साल बाद 21 प्राइवेट स्कूलों को आरटीइ की मान्यता मिलने की उम्मीद जगी है, जबकि 331 स्कूल अब भी बिना वैधानिक मंजूरी के संचालित हो रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि कानून लागू होने के बाद से अब तक जिला प्रशासन ने इस गंभीर मुद्दे पर एक भी बैठक नहीं की थी. जिसके कारण मामला अटका हुआ है.

331 स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं

पूर्वी सिंहभूम जिले के 342 निजी, सरकारी सहायता प्राप्त, गैर-सरकारी और अल्पसंख्यक स्कूलों को यू-डायस कोड मिला है, लेकिन इनमें से 331 स्कूलों के पास अब तक राइट टू एजुकेशन (आरटीइ) की मान्यता नहीं है. जबकि एक अप्रैल 2010 से राज्य में अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू है. स्कूलों को मान्यता लेने के लिए 31 मार्च 2013 तक का समय दिया गया था.

सूची जिला प्रशासन को जिला शिक्षा अधीक्षक ने करायी उपलब्ध

बीते 12 वर्षों में जिले के सिर्फ 11 स्कूलों को ही आरटीइ मान्यता मिल पाई है. वर्षों बाद अब जिला शिक्षा विभाग ने पहल करते हुए सभी दस्तावेजी और भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. फिलहाल 21 निजी स्कूलों को आरटीइ की शर्तों पर खरा पाया गया है, जिनकी सूची जिला शिक्षा अधीक्षक ने जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दी है. जल्द ही उपायुक्त की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इन स्कूलों को मान्यता दी जाएगी.

168 स्कूलों ने पांच बार किया आवेदन, फिर भी लटका मामला

अब तक आरटीइ मान्यता के लिए जिले के 168 स्कूलों ने पांच बार आवेदन किया है. पहली बार 2016 में आवेदन मंगाए गए थे, लेकिन जिला स्तर से फाइलें निदेशालय तक भेजी ही नहीं गयीं. 2018 में दोबारा आवेदन लिए गए, इस बार फाइलें भेजी गयीं, लेकिन वहां फाइल धूप फांकती ही रही. 2020 में निर्देश जारी हुआ कि अब जिला स्तर पर ही मान्यता दी जा सकती है. इसके बाद 2020 और 2021 में भी आवेदन मंगवाए गए, 2021 में उक्त आवेदन के आधार पर 164 स्कूलों का बीइइओ ने भौतिक सत्यापन कर लिया है, सभी स्कूलों की रिपोर्ट विभाग के पास पड़ी हुई है, लेकिन अब तक नतीजा शून्य है.

मान्यता मिलने में आ रही हैं ये प्रमुख बाधाएं:

स्कूलों के पास रजिस्टर्ड जमीन नहीं, अधिकतर टाटा सब-लीज़ जमीन पर संचालित.फायर एनओसी और बिल्डिंग सेफ्टी सर्टिफिकेट का अभाव.

एसडीओ द्वारा जमीन को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं.

कई स्कूलों में टेट पास शिक्षक नहीं हैं

इन स्कूलों को मिली है आरटीइ की मान्यता

1. आरएमएस खूंटाडीह2. नेताजी सुभाष पब्लिक स्कूल पोखारी3. नेताजी सुभाष पब्लिक स्कूल राखामाइंस

4. सेंट जोसेफ स्कूल मुसाबनी5. सेंट जेवियर स्कूल आसनबनी6. लोयोला स्कूल, टेल्को

7. एसडीएसएम स्कूल सिदगोड़ा

8. न्यू विजडम स्कूल घाटशिला9. साउथ प्वाइंट स्कूल पटमदा10. डीबीएमएस हाई स्कूल कदमा

11. हॉली क्रॉस स्कूल परसुडीह

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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