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Drone Surveillance: झारखंड के जंगलों में ड्रोन से होगी हाथियों की निगरानी, अवैध कटाई और शिकार पर भी रहेगी पैनी नजर

Drone Surveillance: वन विभाग ने दलमा और आसपास के वन क्षेत्रों में हाइटेक ड्रोन तकनीक का उपयोग शुरू कर दिया है. इससे न सिर्फ मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सकेगा, बल्कि जंगलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी. ड्रोन से हाथियों की भी निगरानी की जा सकेगी. वन विभाग अवैध कटाई और शिकार पर भी पैनी नजर रखेगा. ड्रोन में लगे थर्मल कैमरे से रात में भी गतिविधियां ट्रैक की जा सकेंगी.

Drone Surveillance: जमशेदपुर-दलमा और आसपास के वन क्षेत्रों में अब ड्रोन के जरिए हाथियों की निगरानी के साथ-साथ अवैध कटाई, अतिक्रमण और शिकार जैसी गतिविधियों पर भी नजर रखी जाएगी. वन विभाग ने इस दिशा में हाइटेक ड्रोन तकनीक का उपयोग शुरू कर दिया है, जिससे न सिर्फ मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सकेगा, बल्कि जंगलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी. इस पहल की शुरुआत सिल्ली क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की गई थी, जिसमें ड्रोन से हाथियों की लोकेशन सटीक रूप से ट्रेस की गयी. इस तकनीक के जरिए हाथियों को समय रहते ग्रामीण बस्तियों में घुसने से रोका जा सकता है. साथ ही ड्रोन जंगल में हो रही अवैध लकड़ी कटाई, शिकार और भूमि अतिक्रमण जैसी गतिविधियों पर भी नजर रखने में सक्षम है, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकती है.

ड्रोन में लगे थर्मल कैमरे से रात में भी ट्रैक की जा सकेंगी गतिविधियां


वन विभाग द्वारा उपयोग किये जा रहे ड्रोन अत्याधुनिक हैं. इसमें थर्मल कैमरा लगा है, जिससे रात के अंधेरे में भी हाथियों की गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकता है. यह ड्रोन 30 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और एक किलोमीटर तक के क्षेत्र में हाई रिजॉल्यूशन वीडियो और फोटो ले सकता है.

पौधरोपण में भी हो रहा ड्रोन का उपयोग


वन विभाग ड्रोन की मदद से दुर्गम क्षेत्रों में पौधरोपण कार्य भी कर रहा है. इसके तहत जीपीएस की सहायता से हाथियों के मूवमेंट वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर उन इलाकों में ड्रोन से सीड बॉल्स गिराए जा रहे हैं. यह काम पटमदा, घाटशिला, राखा माइंस, मुसाबनी और चाकुलिया रेंज के 47 गांवों में किया जा रहा है. सीड बॉल्स गिरने पर जमीन से टकराकर फट जाते हैं और बीज अंकुरित होकर पौधों में परिवर्तित हो जाते हैं. इस मानसून में पांच लाख सीड बॉल्स ड्रॉप करने का लक्ष्य रखा गया है. यह पहल जंगल और जीव-जंतुओं की सुरक्षा के साथ हरियाली बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.

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Guru Swarup Mishra
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मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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