दलमा और आसपास के क्षेत्रों में हो रहा है इसका सफल प्रयोग वन विभाग की नई पहल, स्थानीय समुदाय की अहम भूमिका प्रमुख संवाददाता, जमशेदपुर. दलमा और आसपास के इलाकों में लगातार हाथियों और मानव के बीच टकराव की घटनाओं को देखते हुए वन विभाग ने एक नई पहल की है. दलमा क्षेत्र के साथ-साथ रांची रेंज से लेकर जमशेदपुर के बीच कई गांवों में हाथियों के साथ टकराव की घटनाएं हो रही हैं. इस समस्या को रोकने के लिए घने जंगलों के किनारे बसी इंसानी बस्तियों की रक्षा के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की जा रही है, जिसमें स्थानीय समुदाय के सदस्य “हाथी मित्र ” के रूप में शामिल हो रहे हैं. “हाथी मित्र ” दिन-रात जागकर हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और यदि कोई हाथी गांव के पास आता है, तो वे लोगों को चेतावनी देते हैं. अकेले तापस कर्मकार और उनके दल ने इस पहल में अहम भूमिका निभाई है. उनके प्रयासों से पिछले कुछ महीनों में हाथी जंगल के अंदर ही रहकर जड़ें, बांस और पत्तियां खा रहे हैं. तापस कर्मकार बताते हैं, “हमने हाथियों के बारे में काफी कुछ सीखा है. हम जानते हैं कि हाथी चलने से पहले जमीन पर अपना पैर रगड़ते हैं, सूंड उठाते हैं और कान हिलाते हैं. हाथी आमतौर पर आगे की दिशा में ही चलते हैं, इसीलिए हम हमेशा उनके झुंड के पीछे रहते हैं. ” वह आगे कहते हैं, “अगर हम बहुत नजदीक होते हैं, तो हाथी हमें चेतावनी देने के लिए अपनी सूंड से हवा में धूल उड़ा देते हैं. ” इस पहल के तहत उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया है, जिसके माध्यम से हाथी मित्र आसपास के लोगों को सचेत करते हैं. डीएफओ दलमा, सबा आलम अंसारी ने बताया, “हाथी मित्रों का हमें काफी सहयोग मिलता है. वे लोगों को जागरूक करते हैं और ग्रुप कॉल्स के जरिए सूचना देते हैं, ताकि लोग सचेत हो जाएं और अपने क्षेत्रों से हाथी के आने पर सावधान रहें. ” इस तरह के स्वयंसेवक हाथी मित्रों से स्थानीय लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा रहा है.
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