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Jamshedpur news. एमजीएम अस्पताल में एक माह में चार से पांच लोगों की होती है प्लास्टिक सर्जरी

विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस के अवसर पर सेमिनार का आयोजन

Jamshedpur news.

डिमना रोड स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में बने नये अस्पताल के बर्न वार्ड में मंगलवार को विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में एमजीएम अस्पताल के बर्न वार्ड के एचओडी डॉ ललित मिंज ने लोगों को प्लास्टिक सर्जरी के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 15 जुलाई से लगभग एक सप्ताह में प्लास्टिक सर्जरी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इंफेक्शन, कैंसर, एक्सीडेंट, जलने या अन्य किसी कारण से शरीर के अंगों को हुए नुकसान पर प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. समय के साथ प्लास्टिक सर्जरी और कास्मेटिक सर्जरी का चलन बढ़ा है. वहीं कास्मेटिक सर्जरी का उद्देश्य अंगों की सुंदरता को निखारना होता है. उन्होंने कहा कि एमजीएम अस्पताल में एक माह में चार से पांच लोगों की प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ डी हांसदा, अधीक्षक डॉ आरके मंधान, उपाधीक्षक डॉ जुझार मांझी, डॉ नकुल चौधरी, प्लास्टिक सर्जन डॉ वीएसपी सिन्हा, डॉ ललित मिंज, डॉ एचआर खान, डॉ वाई सांगा सहित अन्य उपस्थित थे.

लोगों के बीच प्लास्टिक सर्जरी को लेकर कई भ्रांतियां हैं : डॉ वीएसपी सिन्हा

प्लास्टिक सर्जन डॉ वीएसपी सिन्हा ने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी को लेकर लोगों के बीच कई प्रकार की भ्रांतियां है. लोगों को लगता है कि प्लास्टिक सर्जरी सिर्फ अमीर लोग ही करा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है इसको सभी लोग करा सकते हैं. जन्मजात विकृती, कटे होंठ, कटा तालू, हाथ की विकृती, जलने से सिकुड़न, एक्सीडेंट एवं कैंसर के बाद अंगों का पुन निर्माण जैसे चमड़ा लगाना, शुगर के कारण घाव होना इन सभी का प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. उन्होंने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी केवल सुंदरता बढ़ाने का माध्यम नहीं है, यह जीवन सुधारने का सशक्त माध्यम भी है.

एमजीएम में आयी नेगेटिव प्रेशर थेरेपी मशीन, इससे घाव जल्द होता है ठीक

एमजीएम अस्पताल में पहली बार एक नयी प्रकार की नेगेटिव प्रेशर थेरेपी मशीन की खरीदारी हुई है. जिसको वैक्यूम-असिस्टेड क्लोजर थेरेपी भी कहा जाता है. जिसका उपयोग करने से किसी भी प्रकार के घाव जल्द ठीक हो जाता है. इस मशीन के बारे में जानकारी देते हुए एमजीएम बर्न यूनिट के विभागाध्यक्ष डॉ ललित मिंज ने बताया कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक विशेष ड्रेसिंग और सक्शन (वैक्यूम) का उपयोग करके घाव से तरल पदार्थ और बैक्टीरिया को हटाया जाता है.

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