डीजीजीआइ जमशेदपुर की टीम ने फर्जी इनवॉइस काट 31 करोड़ से अधिक की निकासी का किया खुलासा
धनबाद से गिरफ्तार दोनों आरोपियों के बंगाल, यूपी, ओडिशा समेत पांच राज्यों से जुड़े हैं तार, कई डिजिटल डिवाइस किये गये जब्त
Jamshedpur News :
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआइ) जमशेदपुर की टीम ने जीएसटी चोरी के एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है. डीजीजीआइ जमशेदपुर की टीम ने 12 फर्जी कंपनियां खड़ी करने और इनके नाम पर 200 करोड़ का फर्जी इनवॉइस (चालान) काटने के मामले में धनबाद के हीरापुर निवासी अवनीश जायसवाल और मटकुरिया निवासी मो फैजल खान को गिरफ्तार किया है. सोमवार से डीजीजीआइ की टीम धनबाद में दोनों के ठिकानों पर लगातार सर्च अभियान चला रही थी. अभियान के दौरान मिले दस्तावेजों के आधार पर अंत में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. बुधवार को उन्हें जमशेदपुर कार्यालय लाया गया, जहां उनके बयान दर्ज किये गये. इसके बाद दोपहर के वक्त उन्हें डिमना रोड स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां मेडिकल कराने के बाद दोनों को घाघीडीह सेंट्रल जेल भेज दिया गया. छापेमारी अभियान का नेतृत्व कर रहे डीजीजीआइ जमशेदपुर के अपर निदेशक सार्थक सक्सेना ने बताया कि जरूरत पड़ी तो उन्हें रिमांड पर लिया जायेगा. बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़ा का सिंडिकेट झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार जैसे राज्यों में सक्रिय है. यह सिडिंकेट फर्जी कंपनियों के माध्यम से कोयला और स्टील कारोबार में नकली बिलिंग कर बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों को अंजाम दे रहा है. डीजीजीआइ के अधिकारी घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज, बैंक रिकॉर्ड और डिजिटल सबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ा रहे हैं. डीजीजीआइ जमशेदपुर के अपर निदेशक सार्थक सक्सेना ने बताया कि हीरापुर निवासी अवनीश जायसवाल और मटकुरिया निवासी मो. फैजल खान ने 12 फर्जी कंपनियां खड़ी कर 200 करोड़ का फर्जी इनवॉइस (चालान) काटकर 31 करोड़ रुपये की निकासी अवैध तरीके से कर ली है. यह राशि और अधिक हो सकती है. यह पूरा मामला जीएसटी रिटर्न में हेरफेर और टैक्स चोरी से जुड़ा है. डीजीजीआइ की पटना जोनल टीम लंबे समय से दोनों पर नजर रख रही थी. सोमवार को टीम पहुंची और नाटकीय अंदाज में दोनों को धर दबोचा. पूछताछ में जीएसटी चोरी का खुलासा होने के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.आरोपियों ने अलग-अलग नाम से कोयला, लोहा, टीएमटी और सीमेंट कारोबार की 12 फर्जी कंपनियों का पंजीकरण कराया था. कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल तैयार कर इनवॉइस के माध्यम से करोड़ों का कारोबार दर्शाया गया, जबकि वास्तव में कोई लेन-देन नहीं हुआ है. अधिकारियों का कहना है कि घोटाले के तार और भी कई जगहों से जुड़े हो सकते हैं. कुछ बड़े कारोबारी या बिचौलिये के भी शामिल होने की आशंका है. मामले की पड़ताल के दौरान आगे और गिरफ्तारियां होने की संभावना है.
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