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Jamshedpur News : ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रहे बागुनहातु के धीरज-निकेश की जुबानी, जानिये बॉर्डर की पूरी कहानी

Jamshedpur News : ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा बने बागुनहातु रोड नंबर-5 तालाब किनारे रहनेवाले बीएसएफ के जवान धीरज कुमार राय और निकेश कुमार राय जम्मू की एक ऐसी पोस्ट पर थे

पाकिस्तान ने गोलीबारी की, हमने धमाके किये, वह इसे दशकों तक याद रखेगा

धीरज-निकेश के घर में जश्न का है माहौल, पड़ोसी व रिश्तेदार सुन रहे हैं ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की कहानी

Jamshedpur News :

ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा बने बागुनहातु रोड नंबर-5 तालाब किनारे रहनेवाले बीएसएफ के जवान धीरज कुमार राय और निकेश कुमार राय जम्मू की एक ऐसी पोस्ट पर थे, जहां दुश्मन पर वे मोर्टार से सटीक हैवी शेलिंग कर रहे थे. दोनों भाईयों ने कहा कि पाकिस्तान ने गोली चलायी थी, लेकिन धमाका हमने किया. पाकिस्तान के लगभग शहर पर भारतीय फौज ने सीधा हमला किया, उसे ऐसा सबक सिखाया है कि दशकों तक वह याद रखेगा. भविष्य में कुछ भी करने से पहले सौ बार सोचेगा. परिवार के साथ बैठकर प्रभात खबर से बातचीत करते हुए धीरज ने कहा कि हमें ऑपरेशन सिंदूर के सफल होने पर गर्व है, लेकिन एक हमला और जरूरी है. भगीना की रिंग सेरोमिनी में शामिल होने के लिए उन्हें छुट्टी मिली.

धीरज ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि मिशन-आधारित स्ट्राइक थी. हमारा इरादा बिल्कुल साफ था. हमें दुश्मन के आतंकी ढांचे और उन चौकियों को खत्म करना था, जो घुसपैठ में मदद कर रहे थे. हम इसके लिए मानसिक और रणनीतिक रूप से तैयार थे. जिस पोस्ट पर हम तैनात थे, वहां भी पाकिस्तान की तरफ से तोपखाने से भारी हमला हुआ, लेकिन उन्हें यह कहते हुए फक्र हो रहा है कि हमारी ओर कोई जनहानि नहीं हुई. धीरज ने कहा कि हमारा मकसद बिल्कुल स्पष्ट था कि आतंकी ढांचे को जड़ से खत्म करना. जब उन्होंने हमारे नागरिक क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना शुरू किया तो हमने भी तय कर लिया कि अगर वे हमारे गांवों पर गोले बरसायेंगे, तो हम उनकी चौकियों को तबाह कर देंगे. हमारा हर गोला उनके लिए करारा जवाब था. हमने यह भी सुनिश्चित किया कि हमारे किसी नागरिक को कोई नुकसान न हो.

वर्जन…

दो माह पहले ही उनकी कंपनी को जम्मू बॉर्डर पर शिफ्ट किया गया था. पहलगाम की घटना ने हर भारतीय को झकझोर दिया था. उनके घर (बागुनहातु) पर रुद्राभिषेक हो रहा था, वे लाइव उसमें शामिल थे. उसी वक्त पाकिस्तान की तरफ से बमबारी शुरू हो गयी. वह अपनी मां (चमेली देवी) से आशीर्वाद लिया और तोपों का मुंह खोल दिया. ऑपरेशन सिंदूर भले ही दो दिन बाद लॉन्च हुआ, लेकिन बॉर्डर पर फायरिंग शुरू हो चुकी थी. उन्हें गर्व है कि वे ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रहे, जब तक शरीर में सांस-जान रहेगी, भारत माता की सेवा में लगे रहेंगे.

धीरज कुमार राय, बीएसएफ जवान

एक मां पर क्या बीत रही होगी, यह कोई नहीं समझ सकता. हमारे तो दो-दो बेटे ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए थे. पहले दिन बात हुई, उसके बाद संपर्क नहीं हो सका. करवट बदलते-बदलते सुबह हो जाती थी. मन बेचैन रहता था. लेकिन मां भारती को याद कर मन को यह कह तसल्ली देती थी कि मैंने ही तो फौज में भेजा है. बेटे यदि शहीद भी हो गये तो उनके लिए गर्व की बात होगी.

चमेली देवी, धीरज कुमार राय की मां

पहलगाम की घटना के बाद मेरा मन काफी विचलित हो गया था, लेकिन जिस दिन भारतीय फौज ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर सटीक हमले किये, तो थोड़ी शांति जरूर मिली. एक बार पाकिस्तान को फाइनल सबक सिखाना जरूरी है. उन्हें गर्व है कि उनके पति मां भारती की सेवा में दिन-रात लगे रहते हैं.

कंचन देवी, पत्नी, धीरज कुमार राय

मैं खुद 1971 के युद्ध में श्रीनगर में तैनात था. दोनों बेटों ने हिंदुस्तान मित्र मंडल स्कूल से शिक्षा हासिल कर 15-20 दिन आगे-पीछे बीएसएफ में योगदान दिया. उन्हें गर्व है कि दोनों बेटे ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहे. बीएसएफ हो या आर्मी, जब युद्ध होता है तो दोनों डटकर लड़ते हैं. बेटे लड़ रहे थे तो उनका ध्यान सीमा और मोबाइल पर बजने वाली घंटी पर ही लगा रहता था.

वशिष्ठ राय, धीरज के पिताB

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