National Critical Mineral Mission: जमशेदपुर-देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (एनसीएमएम) 2025 लॉन्च की है. इसके तहत वर्ष 2025 से 2031 तक 16,300 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. नीति आयोग के सदस्य और पद्मभूषण डॉ विजय कुमार सारस्वत ने बुधवार को यह जानकारी दी. वे जमशेदपुर के बर्मामाइंस स्थित सीएसआइआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (सीएसआइआर-एनएमएल) के प्लेटिनम जुबिली वर्ष पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन 2025 के बारे में विस्तार से जानकारी दी. कहा कि बहुत जल्द माइंस व मिनरल्स डेवलपमेंट और रेगुलेशन एक्ट में संशोधन किया जायेगा, ताकि जो माइंस में बचे हुए मैटेरियल को फिर से निकाला जा सके. कार्यक्रम की शुरुआत सीएसआइआर-एनएमएल के निदेशक डॉ संदीप घोष चौधरी के स्वागत भाषण से हुई. डॉ सारस्वत ने देश के भावी योजनाओं की जानकारी दी.
एमओयू को लेकर चल रही वार्ता
नीति आयोग के सदस्य डॉ विजय कुमार सारस्वत ने कहा कि भारत में रेयर अर्थ मिनरल व मैगनेट की तलाश करने वाली कंपनी के लिए 3500 से 5000 करोड़ रुपये का इंसेंटिव दिया जायेगा. नियोडियम, डिस्पोरिसियम, टेरब्लम और सेमेरियम जैसे क्रिटिकल मिनरल की रिसाइक्लिंग पर इंसेंटिव स्कीम भारत सरकार लाने वाली है. वहीं, पुराने मैग्नेट की रिसाइकलिंग पर भारत सरकार इंसेंटिव देगी, जिसके लिए 1500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. उन्होंने जानकारी दी कि सिंगल विंडो क्रिटिकल रेयर मैटेरियल का पोर्टर आयेगा, जबकि जीएसआइ की ओर से इसका एक्सप्लोरेशन होगा. इसके लिए ऑस्ट्रेलिया, कजाकिस्तान, अर्जेंटीना के साथ एमओयू को लेकर वार्ता चल रही है.
वर्ष 2025 से 2031 तक खर्च होंगे
क्षेत्र- राशि (करोड़ रुपये)
घरेलू स्तर पर क्रिटिकल मिनरल की खोज- 7000
विदेशी सोर्सिंग के लिए जोखिम कवरेज – 4000
देश में क्रिटिकल मिनरल की खोज व उत्खनन के सपोर्ट- 1600
रिसाइक्लिंग पर – 1600
एचआर व स्किल डेवलपमेंट पर- 600
अंतरराष्ट्रीय रिसर्च व डेवलपमेंट के सपोर्ट पर- 500
क्रिटिकल मिनरल प्रोसेसिंग पार्क पर – 500
स्टॉक पाइलिंग क्रिटिकल मिनरल पर- 500
एनएमएल करे भविष्य की योजनाओं पर काम
डॉ सारस्वत ने कहा कि एनएमएल भविष्य की योजनाओं पर काम करे. उन्होंने एनर्जी एफिशिएंट फ्लोशीट को डिजाइन करने, बायोलीचिंग तकनीक को विकसित करने, मिक्स मेटल वेस्ट को छांटने की प्रक्रिया को विकसित करने, ग्रीन केमिस्ट्री प्रोटोकोल को विकसित करने, मेंबरेन आधारित सेपरेशन, इलेक्ट्रो केमिकल एक्सट्रैक्शन समेत अन्य पहलुओं पर काम करने की अपील की. लो ग्रेड ओर प्रोसेसिंग, एआइ आधारित काम को गति देते हुए नयी खोज पर काम करने की भी अपील की. डॉ सारस्वत ने एनएमएल के साथ अपने दीर्घकालिक जुड़ाव को याद करते हुए व्याख्यान का समापन किया और सहयोगी परियोजनाओं पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम का समापन एक रोचक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों और छात्रों सहित उपस्थित लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया. मालूम हो कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 26 नवंबर 1950 को एनएमएल का औपचारिक उद्घाटन किया था.
ये भी पढ़ें: झारखंड के पलामू में बड़ा सड़क हादसा, तेज रफ्तार स्कॉर्पियो और बाइक की टक्कर में 3 की मौत, 2 की हालत नाजुक