Jamshedpur News
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एमजीएम अस्पताल में तीन मई को मेडिकल विभाग के बरामदे की छत गिरने से चार लोगों की मौत हो गयी थी. इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट झारखंड मानवाधिकार संगठन जेएचआरसी के प्रमुख मनोज मिश्रा ने पांच मई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी थी. साथ ही झारखंड उच्च न्यायालय एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी संबंधित जानकारी दी थी. इस पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने शिकायतवाद संख्या 53223/सीआर /2025 दर्ज किया है.रिपोर्ट में इन बिंदुओं पर उठाये थे सवाल
साकची स्थित 60 वर्ष पुराने जर्जर अस्पताल भवन से मरीजों को समय रहते डिमना स्थित नये अस्पताल में स्थानांतरित क्यों नहीं किया गया, जबकि यह विकल्प पहले से उपलब्ध था? इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है? भवन निर्माण विभाग ने तीन वर्ष पूर्व जिस पुराने भवन की मरम्मत की थी, उसकी स्थिति फिर से जर्जर हो गई — तो क्या मरम्मत कार्य मानकों के अनुसार हुआ था? यदि नहीं, तो इसकी निगरानी और स्वीकृति की जिम्मेदारी किसकी थी?क्या उक्त अस्पताल भवन को ‘कंडम’ घोषित किया गया था? यदि हां, तो उस स्थिति में भी मरीजों का इलाज वहां क्यों जारी रहा?
क्या भवन निर्माण विभाग या किसी अन्य संबंधित एजेंसी ने अस्पताल प्रबंधन को भवन की जर्जर और खतरनाक स्थिति के बारे में कोई चेतावनी या नोटिस जारी किया था? यदि नहीं, तो यह गंभीर चूक क्यों हुई?अस्पताल के भवनों की संरचनात्मक सुरक्षा (सेफ्टी ऑडिट) अब तक क्यों नहीं करायी गई? क्या इसकी नियमित जांच की कोई नीति है, और अगर है तो उसका पालन क्यों नहीं हुआ?
स्वास्थ्य मंत्रालय और जिला प्रशासन द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद मरीजों को नये अस्पताल भवन में स्थानांतरित क्यों नहीं किया गया? इस आदेश की अनदेखी किस स्तर पर और क्यों हुई?नये अस्पताल भवन में पानी की समस्या का समाधान अब तक क्यों नहीं किया जा सका? किस विभाग या अधिकारी की लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार मानी जाए?
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