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Santhal Social Boycott: झारखंड में माझी बाबा का तुगलकी फरमान, 12 गांवों के 118 संताल परिवारों का सामाजिक बहिष्कार

Santhal Social Boycott: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के 12 गांवों में 118 संताल परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया गया है. इन्होंने डीसी से मिलकर न्याय की गुहार लगायी है. पीड़ितों की मानें तो मामूली बात पर माझी बाबा तुगलकी फरमान जारी कर सामाजिक बहिष्कार कर रहे हैं. इससे उनका जीना मुश्किल हो रहा है. बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं.

Santhal Social Boycott: जमशेदपुर-पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड क्षेत्र का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां 12 गांवों के 118 से अधिक संताल परिवारों को माझी बाबाओं ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. बहिष्कार से परेशान परिवार गुरुवार को जमशेदपुर स्थित उपायुक्त कार्यालय पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई. इन परिवारों की मांग है कि उन्हें अलग से अपना ग्राम प्रधान चुनने की प्रशासनिक अनुमति दी जाए. इसके लिए उन्होंने गुरा हेंब्रम को अपना नया ग्राम प्रधान चुन भी लिया है और अब इस पर आधिकारिक स्वीकृति चाहते हैं, ताकि उन्हें सामाजिक, धार्मिक और सरकारी विभिन्न कामों में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं झेलनी पड़े.

जिला प्रशासन करे अविलंब हस्तक्षेप-पीड़ित परिवार


सामाजिक बहिष्कार से परेशान परिवारों का कहना है कि जिला प्रशासन मामले में अविलंब हस्तक्षेप कर उचित न्याय दिलाये, अन्यथा धर्मांतरण जैसे कदम भी उठाने को बाध्य होंगे. उनका कहना है कि ऐसे समाज में रहने का क्या फायदा, जहां उनकी कोई सुनता ही नहीं हो और तुगलकी फरमान जारी किया जाता हो.

छोटी-छोटी बातों पर सामाजिक बहिष्कार- बहिष्कृत परिवार


बहिष्कृत परिवार का नेतृत्व कर रहे टुकाई मार्डी ने बताया कि गांव के वर्तमान ग्राम प्रधान अर्थात माझी बाबा छोटी-छोटी बात पर नाराज होकर ग्रामीणों का सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं, जिसकी वजह से बहिष्कार झेल रहे परिवारों के लिए सामान्य जीवन जीना भी कठिन हो गया है. उन्हें गांव के कुएं और अन्य जलस्रोतों से पानी भरने तक की इजाजत नहीं है. मृत्यु जैसे दुखद मौके पर भी अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया जा रहा है.

माझी बाबा की सख्त हिदायत


माझी बाबा ने गांववालों को सख्त हिदायत दी है कि वे बहिष्कृत परिवारों से बिल्कुल बातचीत न करें और धार्मिक कार्यक्रमों में भी शामिल न होने दें. उन्होंने बताया कि माझी बाबा और ग्रामप्रधान ने किसी भी सरकारी योजना के लिए जरूरी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया है. इस वजह से बहिष्कृत परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

इन गांवों का है मामला


दासाडीह, खरीदा, छोटा अस्ती, बादलगोड़ा, जाहेरडीह, चाकड़ी, मरांग सोंधा, बोमरो, छोटा बोतला, सेरालडीह, कुदुरसाई,

न्याय की जगह अन्याय कर रहे माझी बाबा-भागमत सोरेन


भागमत सोरेन ने कहा कि वे सभी सरना धर्म के अनुयायी हैं. उनके ग्राम प्रधान भी इसी धर्म से हैं, फिर भी उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया. यह अन्याय है. माझी बाबा गांव के धर्मपिता हैं. उनकी नजर में गांव का हर आदमी एक समान है, लेकिन वर्तमान समय में माझी बाबा न्याय करने के बजाय अन्याय कर रहे हैं. वे लालच में आकर गलत फैसला सुना रहे हैं.

बच्चों पर भी पड़ रहा असर-मनीराम मुर्मू


मनीराम मुर्मू ने कहा कि बहिष्कार की मार बच्चों पर भी पड़ रही है. स्कूल में भी उनके बच्चों के साथ उनके सहपाठी बातचीत तक नहीं करते हैं और न ही उनके साथ खेलते हैं. बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार किये जाने से बच्चे भी परेशान हो गये हैं. माझी बाबा अपने मूल कार्य से भटक गये हैं. वे लोगों को जोड़ने के बजाय तोड़ने में लिप्त हैं.

माझी बाबा और बहिष्कृत परिवार से मिलकर रास्ता निकालेंगे-दुर्गाचरण

पूर्वी सिंहभूम जिले के माझी परगना महाल के धाड़ दिशोम देश पारानिक के देश पारानिक दुर्गाचरण मुर्मू ने कहा कि डुमरिया प्रखंड क्षेत्र के 12 गांवों के लोगों 118 से अधिक परिवार के सामाजिक बहिष्कार की जानकारी मिली है. सामाजिक बहिष्कार के कारणों की जानकारी ले रहे हैं. माझी बाबा और बहिष्कृत परिवार से भी जाकर मिलेंगे और इसका समाधान निकालेंगे.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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