JharkhandNews : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सलखान मुर्मू के निर्देशानुसार सेंगेल दिशोम परगना सोनाराम सोरेन की अध्यक्षता में वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया. इस बैठक में झारखंड, ओडिशा, बंगाल, बिहार और असम के सेंगेल प्रतिनिधियों ने भाग लिया. बैठक का मुख्य उद्देश्य बाहा पर्व को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकसाथ एक ही दिन मनाने का निर्णय लेना था. सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि इस वर्ष 5 मार्च को बाहा पर्व मनाया जाएगा, जबकि 4 मार्च को पारंपरिक विधि उमनड़का का आयोजन होगा.
जाहेरथान में होगी पारंपरिक पूजा-अर्चना
सेंगेल दिशोम परगना सोनाराम सोरेन ने बैठक में बताया कि बाहा पर्व आदिवासी समाज का प्रकृति उपासना से जुड़ा महत्वपूर्ण महापर्व है. इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोग अपने-अपने सरना पूजा स्थल जाहेरथान में मरांगबुरू और जाहेरआयो की पूजा-अर्चना करेंगे. यह पर्व प्रकृति से प्राप्त फूलों, विशेष रूप से सखुआ और महुआ के फूलों को समर्पित करने का पर्व है. पूजा के दौरान सखुआ और महुआ के फूलों को देवताओं के चरणों में अर्पित किया जाएगा, जिससे समाज में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी.
महिलाएं व पुरुष पारंपरिक रीति से सजेंगे
पूजा-अर्चना के बाद सखुआ फूल को पुरुष अपने कानों में धारण करेंगे, जबकि महिलाएं इसे अपने जुड़े में सजाएंगी. यह परंपरा समाज में सामूहिक एकता और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक मानी जाती है. वर्चुअल मीटिंग में झारखंड सेंगेल अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू, बिमो मुर्मू, जूनियर मुर्मू, ओडिशासेंगेल अध्यक्ष नरेंद्र हेंब्रम, बुढान मरांडी, नारान मुर्मू, बंगाल से गणेश चंद्र मुर्मू, लक्ष्मी नारायण किस्कू, सुनील हांसदा, बिहार से सुषमा चोणें, असम से सोहन हेंब्रम और बाजून टुडू सहित कई गणमान्य प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में बाहा पर्व को आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का महत्वपूर्ण माध्यम बताया गया.