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आस्था व अध्यात्म का प्रतीक है अर्जुनश्वेर धाम

रनिया प्रखंड के सोदे गांव में स्थित अर्जुनेश्वर धाम श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है

भूषण कांसी, रनिया

रनिया प्रखंड के सोदे गांव में स्थित अर्जुनेश्वर धाम श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. अर्जुनेश्वर धाम में एक विशाल अर्जुन वृक्ष की जड़ से एक प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ है. जिसे श्रद्धालु अर्जुनेश्वर बाबा के नाम से पूजते हैं. इस शिवलिंग का आकार काफी बड़ा है. अर्जुनेश्वर धाम के परिसर में हनुमान और माता दुर्गा की प्रतिमाएं भी स्थापित की गयी है. इसके अलावा यहां श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला भी है. यहां स्थित शिवलिंग धरती में काफी गहरायी तक है. वर्षों पूर्व शिवलिंग की खुदाई की गयी थी, लेकिन तब उसके नीचले हिस्से तक नहीं पहुंचा जा सका था. क्विंदंती है कि शिवलिंग पाताल लोक से जुड़ा हुआ है. स्थानीय लोगों के अनुसार शिवलिंग का इतिहास काफी प्राचीन है. शिवलिंग कई सौ वर्षों पुराना है. जानकारी के अनुसार एक बार एक फौजी ने इस शिवलिंग की सत्यता पर प्रश्न उठाया था. लेकिन अगले ही दिन उसे यहां स्वयं भगवान शिव को डमरू बजाते हुए नृत्य करते देखा और साथ ही नाग देवता भी प्रकट हुए. इस दिव्य दर्शन के बाद उस फौजी ने पूरे गांव को इसकी जानकारी दी. इसके बाद यहां पर पूजा-अर्चना आरंभ हो गया. अर्जुनेश्वर धाम में श्राावण मास की प्रत्येक सोमवारी और महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु झारखंड के विभिन्न जिलों खूंटी, रांची, पश्चिम सिंहभूम, सिमडेगा तथा ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों से पहुंचते हैं. धाम के इतिहास में पोंड़का भगत का नाम विशेष रूप से लिया जाता है, जिन्होंने अपनी संपूर्ण उम्र अर्जुनेश्वर बाबा की सेवा में अर्पित कर दी. वे प्रतिदिन पूजा-पाठ करने के उपरांत गांव में घर-घर जाकर पुष्प और प्रसाद का वितरण करते थे.

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