समाहरणालय सभागार में शोक सभा डीसी सहित अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
सभी ने प्रकट की अपनी संवेदनाखूंटी. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की सूचना के बाद पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ पड़ी. जिले के सभी राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, सरकारी कर्मी सहित अन्य विभागों में दिशोम गुरु के निधन पर दुःख प्रकट किया गया. जिला मुख्यालय में समाहरणालय सभागार में शोक सभा का आयोजन कर उपायुक्त आर रॉनिटा सहित जिले के अन्य अधिकारियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया. इस अवसर पर उनके आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रख कर ईश्वर से प्रार्थना की गयी. इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि शिबू सोरेन के जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए. उन्होंने झारखंड राज्य की पहचान, आदिवासी समाज के अधिकारों एवं सामाजिक न्याय के लिए जो संघर्ष किया, वह हम सभी के लिए प्रेरणा एवं हमेशा स्मरणीय रहेगा. मौके पर डीडीसी आलोक कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
पिता समान थे दिशोम गुरु : रघुवर दास
ओड़िशा के पूर्व राज्यपाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के आंदोलन ने ही आदिवासी समाज को मान-सम्मान दिलाया. उन्होंने महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया. गुरुजी अच्छे काम करनेवाले को सम्मान देते थे. वे भेदभाव नहीं करते थे. शोषित, दलित और आदिवासी समाज के लिए हमेशा चिंता करते थे. उनके नेतृत्व में कार्य करने का मौका मिला था. उन्होंने सोमवार को आम्रेश्वर धाम में पूजा करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अपनी भावनाओं को प्रकट किया. उनके नहीं रहने से अपूरणीय क्षति हुई. उनके सपने को साकार करना हम सबका कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि मैं उन्हें पिता तुल्य मानता था.
शिबू सोरेन का निधन अपूरणीय क्षतिः कालीचरण मुंडा
खूंटी सांसद कालीचरण मुंडा ने कहा कि झारखंड आंदोलन के प्रणेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन एक अपूरणीय क्षति है. वे न केवल झारखंड के जन-जन के हृदय में बसते थे, बल्कि आदिवासी समाज के स्वाभिमान और अधिकारों की आवाज भी थे. उनका सम्पूर्ण जीवन संघर्ष, त्याग और झारखंड की अस्मिता के लिए समर्पित रहा. मैं, खूंटी लोकसभा क्षेत्र की जनता की ओर से एवं व्यक्तिगत रूप से दिशोम गुरु को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
एक युग का हुआ अंतः राम सूर्या मुंडा
खूंटी विधायक रामसूर्या मुंडा ने कहा कि झारखंड की माटी के सच्चे सपूत, आदिवासी अस्मिता के प्रतीक, और हमारे मार्गदर्शक शिबू सोरेन के निधन की खबर ने पूरे झारखंड को शोक में डूबो दिया है. उनका जाना एक युग का अंत है. गुरुजी ने हमेशा वंचितों, आदिवासियों, किसानों, और आम जन की आवाज को बुलंदी दी. उनके संघर्षों की रोशनी ने झारखंड राज्य को जन्म दिया और हमें गर्व से सिर उठा कर जीने का हौसला दिया.
गरीबों के मसीहा थे शिबू सोरेन : नीलकंठ सिंह मुंडा
पूर्व मंत्री सह खूंटी के पूर्व विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि दिशोम गुरु गरीबों के मसीहा थे. उनके निधन से पूरा झारखंड मर्माहत है. शिबू सोरेन एक जननायक थे. उन्होंने झारखंड के हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी. झारखंड ने एक युग पुरुष को खो दिया. उनके परिजनों को दुःख सहने की प्रार्थना करता हूं.
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