प्रतिनिधि, तोरपा कृषि विज्ञान केंद्र में बुधवार को विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के बीच मंडुआ थ्रेसर मशीन, हस्त चलित बुवाई यंत्र और हैचिंग इनक्यूबेटर मशीन का वितरण किया गया. अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत जिले के 15 समूहों के बीच मशीन का वितरित किया गया. यंत्र वितरण के पूर्व वैज्ञानिकों ने समूह के सदस्यों को उनके उपयोग व महत्व के बारे में विस्तार से बताया. केंद्र के अध्यक्ष डॉ दीपक राय ने किसानों को खेती में नयी तकनीक और यंत्र के प्रयोग करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि कृषि उपकरण लागत कम करने और उपज बढ़ाने के मुख्य स्तंभ हैं, ये जीवकोपार्जन का एक अच्छा माध्यम है. इससे समूह का विकास होगा. उन्होंने किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़कर तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने का आह्वान किया. मृदा एवं जल संरक्षण अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ किशोर पांडुरंग ने मंडुआ थ्रेसर व हस्तचालित यंत्रों के प्रयोग के बारे में किसानों को विस्तृत रूप से समझाया. उन्होंने कहा कि मशीन द्वारा श्रम व पैसे की बचत होती है. उन्होंने बताया कि हस्तचालित बीज बुवायी यंत्र के प्रयोग से बीज की दूरी, पौधे से पौधे व लाइन से लाइन की दूरी व बीज व खाद की उचित मात्रा पौधे तक आसानी से पहुंच जाती है. खरपतवार नियंत्रण में भी आसानी होती है. पशुपालन वैज्ञानिक डॉ मीर मुनीब रफीक ने बताया कि इससे हम 21 दिनों में मुर्गी के चूजे और 28 दिनों में बत्तख के चूजे प्राप्त कर सकते हैं. मशीन से एक बार में 112 अंडों की हैचिंग के लिए रख सकते हैं. इस मशीन की ओर से उचित तापमान व नमी उपलब्ध करायी जाती है, जिससे आसानी से चूजे प्राप्त कर सकते हैं. मौके पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार, डॉ ओम प्रकाश कांटवा, डॉ निखिल राज एम, डॉ बृजराज शर्मा ने भी अपने विचार रखे. धर्मेंद्र सिंह ने मशीन के रख रखाव की जानकारी दी. आशुतोष प्रभात ने किसानों का धन्यवाद ज्ञापन किया.
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