भूषण कांशी, खूंटी. खूंटी के प्राचीन महादेव मंडा मंदिर में लोगों की खूब आस्था है. खूंटी के साथ-साथ खूंटी पट्टी के विभिन्न गांव के ग्रामीण भी यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं. सावन के महीने में विशेष श्रद्धा रहती है. सावन में सोमवारी को और अन्य दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने के लिए महादेव मंडा पहुंचते हैं. इसे बूढ़ा महादेव भी कहा जाता है. खूंटी के राजा रहे बड़ाईक घासीराम मझिया ने मंदिर की स्थापना 1843 ई. को किया था. तब वे 12 गांवों के राजा हुआ करते थे. उनके वंशज बाल गोविंद सिंह और पुरुषोत्तम सिंह ने बताया कि खूंटी के बड़ाइक साहब के स्वप्न में भगवान शिव आये थे. जिसके बाद बड़ाइक साहब ने बैलगाड़ी से भगवान भोलेनाथ को लेकर आ रहे थे. इसी क्रम में एक चट्टान के पास बैलगाड़ी रूक गयी. इसके बाद शिवलिंग को वहीं उतार दिया गया. अगले दिन जब बड़ाइक साहब और ग्रामीण वहां पहुंचे तो शिवलिंग गायब था. कुछ दिनों बाद बड़ाइक साहब को फिर स्वप्न आया. जिसमें शिवलिंग महादेव मंडा में नजर आया. अगले दिन सुबह वहां विधि-विधान के साथ शिवलिंग को स्थापित किया गया. इसके बाद से बड़ाइक परिवार और खूंटी के लोग भगवान शिव की आराधना करते आ रहे हैं. शुरुआती दौर में जहां बूढ़ा महादेव की स्थापना हुई, वहां एक विशाल बरगद का पेड़ था जो एक पहर तक झुक जाता था. बाद में वहां राजा द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से खेर तथा पुआल से मंदिर का निर्माण कराया गया. मान्यता है कि बूढ़ा महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. धन संपत्ति, सुख समृद्धि प्रदान करते हैं. बड़ाइक परिवार आज भी मंडा पूजा, होली, दिवाली, दशहरा, शिवरात्रि, माघ मेला जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते आ रहे हैं.
खूंटी के महादेव मंडा में है लोगों की आस्थाB
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