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अतिवृष्टि के बावजूद किसानों ने की 50 फीसदी से अधिक खेतों में धान रोपनी

अतिवृष्टि के कारण खेतों में धान की रोपनी करने में असुविधा हो रही है.

बुंडू. आषाढ़ और सावन महीना धान खेती का उचित समय है. सावन महीना का अंतिम सप्ताह चल रहा है. प्रत्येक वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष बारिश ने रिकार्ड तोड़ दिया है. अत्यधिक बारिश के कारण खेत में पानी लबालब है. अतिवृष्टि के कारण खेतों में धान की रोपनी करने में असुविधा हो रही है. इसके बावजूद किसानों ने अब तक 50 फीसदी से अधिक खेतों में धान रोपनी कर ली है. धान रोपनी का कार्य युद्ध स्तर से चल रहा है. मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष 90 फीसदी बारिश हो चुकी है. जुलाई और अगस्त माह में लगातार बारिश होने के कारण किसानों को हरी सब्जी का भारी नुकसान हुआ है. धान की खेती भी प्रभावित है. लगातार बारिश के कारण धान की बुवाई सही समय पर नहीं कर पाये थे. अतिवृष्टि तेज हवा बादल के गर्जन लगातार होने से किसान और धान रोपने वाली महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत हुई. बादल के गर्जन वज्रपात कई महिलाओं की मृत्यु हो गयी. बादल गर्जन और वज्रपात का डर धान रोपनी करते समय बारिश को देखते ही महिलाएं खेत से कूद कर घर पहुंच जाती थीं. इधर खाद बीज की दुकानदारों ने भी किसानों से रासायनिक खाद की मनमानी दर वसूले. डीएपी और यूरिया की कीमत पर कोई सरकार की लगाम नहीं है, दुकानदार ऊंची कीमत पर किसानों को खाद की बिक्री की. लैंपस लिमिटेड में भी पर्याप्त मात्रा में किसानों को सरकारी सस्ती दर पर धान बीज नहीं मिला. कृषि विभाग पूरी तरह मौन है. खाद बीज विक्रय की दर निर्धारित नहीं की गयी है. हरी सब्जी खेती के नुकसान पर फसल बीमा भी नहीं हो पाया है. स्थानीय किसानों का कहना है कि किसानों के मामले में सरकार और जिला प्रशासन भी गंभीर नहीं है.

बारिश के कारण किसानों को हरी सब्जी का नुकसान

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