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पीपल के पेड़ पर स्थित शिवलिंग है आस्था का केंद्र

खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की जरिया पंचायत के महादेव टोली गांव में आधा दर्जन से ज्यादा शिवलिंग अवस्थित हैं.

स्लग :::तोरपा के जरिया महादेव टोली में खुदाई में मिले थे दर्जनों शिवलिंग और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा

सतीश शर्मा, तोरपा. खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की जरिया पंचायत के महादेव टोली गांव में आधा दर्जन से ज्यादा शिवलिंग अवस्थित हैं. गांव के लोग बताते हैं कि ये सारे शिवलिंग खुदाई में निकले हैं. इसलिए इस जगह का नाम महादेव टोला पड़ा है. यहां पर एक शिवलिंग के ऊपर मंदिर का निर्माण कराया गया हैं, जबकि बाकी शिवलिंग इसी मंदिर के आसपास पेड़ के नीचे पड़े हैं. सावन के महीने में यहां आसपास के श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने तथा पूजा करने आते हैं. यह स्थल आस्था का केंद्र तो है ही साथ इसका पुरातात्विक महत्व भी है.

देवी देवताओं की प्रतिमा भी मिले हैँ खुदाई में

महादेव टोला में खुदाई के दौरान शिवलिंग के अलावा कई देवी-देवताओं की प्रतिमा भी मिले हैं. भगवान सूर्य की प्रतिमा के साथ साथ उनके रथ का पहिया, माता लक्ष्मी व विष्णु, भगवान गणेश, नव कन्या के साथ -साथ भगवान के मत्स्य अवतार की प्रतिमा भी है.

पीपल के पेड़ पर विराजमान शिवलिंग

महादेव टोला में एक पीपल के एक पेड़ पर विराजमान शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण के साथ साथ आस्था का केंद्र बना हुआ है. पीपल के पेड़ पर लगभग 25-30 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस शिवलिंग की पूजा आसान नहीं है. क्योंकि यहां चढ़ने का साधन नहीं हैँ. जो लोग चढ़ पाते हैं, वही पूजा कर पाते हैं. सावन कें महीने के अलावा यहां शिवरात्रि और मंडा पूजा का भी आयोजन होता है.

क्या कहते हैं पुजारी

महादेव टोली मंदिर के पुजारी लक्ष्मी नारायण चौबे बताते हैं कि पहले जब पीपल का पेड़ छोटा था, उसी समय से वहां शिवलिंग विराजमान हैं. जैसे-जैस पेड़ बड़ा होता गया, बाबा भोलेनाथ भी ऊंचाई पर चढ़ते गयेे. काफी ऊंचाई में होने के कारण नवयुवक-युवती ही पेड़ पर चढ़ कर पूजा-अर्चना कर पाते हैं. वे बताते हैँ कि पीढ़ियों से उनका परिवार यहां पूजा पाठ करता आ रहा है. शिवलिंग कितना पुराना है, इस बारे में कोई नहीं बता सकता. वे बताते हैं कि यहां खुदाई में मिले शिवलिंग को दूसरे गांव के लोग भी ले गये है तथा पूजा पाठ कर रहे हैं. तोरपा में स्थापित शिवलिंग यही से ले जाया गया है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

महदेव टोली मंदिर समिति के सचिव बालगोविन्द महतो कहते है कि यह बता पाना कि शिवलिंग कब का है मुश्किल है. उन्होंने बताया कि पहले गांव के लोगों ने एक शिव लिंग देखा. इसे देख कर ग्रामीणों ने वहां खुदाई की, तो दर्जनो, शिवलिंग, विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां और अन्य अवशेष मिले. कितने वर्ष पहले खुदाई हुई, इसकी जानकारी तो नहीं है. वे कहते है कि मंदिर तक जाने का स्थायी रास्ता नहीं है.

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