तोरपा. दिशूम गुरु शिबू सोरेन की कई यादें तोरपा से भी जुडी है. गुरुजी लगातार इस क्षेत्र में झामुमो का संगठन मजबूती से खड़ा करने के लिए दौरा करते रहते थे. 1995 में गुरुजी तपकारा में सभा की थी. सभा बाजारटाड में आयोजित की गयी थी. 2005 के विधानसभा का चुनाव प्रचार चल रहा था. गुरुजी को चुनाव प्रचार कर लिए बानो जाना था. तब पीटर बागे झामुमो के उम्मीदवार थे. बानो जाने के क्रम में उनका हेलीकॉप्टर अचानक तोरपा ब्लॉक मैदान में लैंड किया. बताया गया कि हेलीकॉप्टर में फ्यूल लेना है. इसलिए हेलीकॉप्टर को एमरजेंसी में तोरपा में लैंड करना पड़ा. हेलीकॉप्टर के लैंड करते ही उन्होंने झामुमो नेता जुबैर अहमद को बुलवाया. जुबैर अहमद तब प्रखंड अध्यक्ष थे. उन्होंने जुबैर अहमद से कहा कि मोटरसाईकिल मंगवाओ, जब तक हेलीकॉप्टर में तेल भरेगा. लोगों से मिलते हैं. गुरुजी जुबैर अहमद के साथ मोटरसाइकिल पर बैठक तोरपा बस स्टैंड पहुंचे. तब तक सैकड़ों लोगों की भीड़ वहां इकठ्ठा हो गयी थी. वहां गुरुजी नें कुर्सी पर चढ़ कर लोगों को संबोधित किया था. लोगों से झामुमो को वोट देने की अपील की थी. उसके बाद गुरुजी हेलीकॉप्टर से बानो के लिए रवाना हो गये. जाते वक्त वह जुबैर अहमद को भी हेलीकाप्टर से अपने साथ लेते गये.
तपकारा गोलीकांड के खिलाफ लड़ाई लड़ी
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दो फरवरी 2001 को तपकारा गोलीकांड की घटना घटी थी. इसमें आठ आंदोलनकारी मारे गये थे. क्षेत्र में धारा 144 लागू था. बावजूद इसके गुरुजी तपकारा पहुंचे तथा आंदोलनकारियों से मिल इस घटना के खिलाफ आवाज उठायी. कोयल कारो जनसंगठन के साथ खड़ा होकर कोयलकारो परियोजना के खिलाफ आवाज उठायी. सरकार ने सभी आंदोलनकारियों को मुआवजा दिया था.ढाबा में मालपुआ मंगा कर खाया था :
गुरुजी खूंटी के उलिहातू के दौरा से लौट रहे थे. खूंटी के एक ढाबा में खाना खाने के लिए रुके. गुरुजी ने जिलाध्यक्ष जुबैर अहमद से कहा कि यहां का मालपुआ फेमस है, मालपुआ खिलाओ. जुबैर अहमद ने तत्काल मालपुआ मंगाया तथा गुरुजी को खिलाया. तब गुरुजी को एक शख्स ने कहा कि गुरुजी मालपुआ मत खाइए, हर्जा करेगा. तब गुरुजी ने कहा कि झारखंड में अलग-अलग जगह का अलग-अलग व्यंजन फेमस है, यहां का मालपुआ फेमस है, तो बिना खाये नहीं जायेंगे.मोटरसाइकिल से उलिहातू पहुंचे थे गुरुजी :
15 नवंबर 1997-98 की बात है गुरुजी भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने उलिहातू जा रहे थे. उस वक्त उलिहातू जाने के रास्ते नदी में पुल नहीं बना था. गुरुजी एम्बेसडर कार से जा रहे थे. गुरुजी की कार नदी में फंस गयी थी. शाम होने को था, सुरक्षा कर्मियों ने गुरुजी को वापस लौटने को कहा पर गुरुजी कहां मानने वाले थे. गुरुजी वहां मौजूद झामुमो नेता जुबैर अहमद की येचडी मोटरसाइकिल में बैठ कर उलिहातू के लिए निकल पड़े. नदी में मोटरसाइकिल भी फंस गयी, तो गुरुजी स्वयं मोटरसाइकिल को धक्का देकर निकाला और जुबैर अहमद के साथ उलिहातू पहुंच बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी. ऐसी प्रतिबद्धता व भगवान बिरसा मुंडा के प्रति गुरुजी की श्रद्धा थी. ऐसी कई घटनाएं हैं, जिसे यहां के पुराने कार्यकर्ता याद करते हैं.मेरे तो जैसे पिता चले गये : जुबैर अहमद
मेरे तो जैसे पिता चले गये… गुरुजी के निधन की खबर सुन कर यही पहला शब्द झामुमो जिलाध्यक्ष जुबैर अहमद के मुंह से निकला. कहा कि गुरुजी की प्रेरणा से झामुमो में आया था. उनके साथ गुजारे एक-एक एक पल आज याद आ रहे हैं. वे कहते हैं कि 1985 में गुरुजी से प्रभावित होकर झामुमो में एक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी. गुरुजी हमेशा बेटा कह कर ही बुलाते थे. वो हम सबके बाबा थे. उनका हमारे बीच नहीं रहना, हमारी व्यक्तिगत क्षति है.तोरपा से जुड़ी हुई हैं गुरुजी की कई यादेंB
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