किस्को. भीषण गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है.जैसे-जैसे पारा चढ़ रहा है. वैसे-वैसे किस्को के बाजारों में देशी फ्रीज यानी मिट्टी के घड़ों की मांग बढ़ती जा रही है. साप्ताहिक हाट जो हर शनिवार और मंगलवार को लगता है, वहां मिट्टी से बने बर्तनों की बिक्री में वृद्धि हुई है. लोग धूप की तपिश से राहत पाने और शुद्ध ठंडा पानी पीने के लिए मिट्टी के मटके, घड़ा,सुराही आदि खरीद रहे हैं. ग्रामीण संदीप सिंह ने कहा कि मटके का पानी न केवल प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है,बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होता है.इस कारण से आज भी समाज में देशी फ्रीज की लोकप्रियता बनी हुई है. फ्रीज के बजाय घड़े का पानी फायदेमंद होता है. ठंडा गर्मी, बरसात हर मौसम में घड़े के पानी फायदेमंद होती है.लोग फ्रीज छोड़ घड़े का उपयोग कर रहे हैं. बबलू प्रजापति, हरिनारायण प्रजापति व अन्य लोगों का कहना है कि वे 20 वर्षों से इस काम में लगे हैं. लेकिन अब महंगाई के कारण मुनाफा कम हो गया है. मिट्टी, लकड़ी और अन्य कच्चे सामान की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है. बताया गया कि एक ट्रैक्टर मिट्टी की कीमत अब 2000 रुपये तक पहुंच गयी है,वहीं लकड़ी 300 रुपये प्रति बोझा साइकिल बिक रही है. फिर भी बढ़ती मांग को देखते हुए कुम्हारों ने विभिन्न डिजाइनों के घड़े तैयार किए हैं.गर्मी के मौसम में बिक्री थोड़ी बढ़ जाती है,जिससे उन्हें अपने परिवार के लिए कुछ राहत मिलती है.
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