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घोषणाओं में आदर्श, हकीकत में उपेक्षित है भंवरो गांव

घोषणाओं में आदर्श, हकीकत में उपेक्षित है भंवरो गांव

भंडरा़ अमर शहीद पांडे गणपत राय की जन्मस्थली भंवरो गांव को आदर्श ग्राम घोषित करने की घोषणा बड़े उत्साह और जयघोष के साथ की गयी थी. लेकिन वक्त बीतने के साथ यह घोषणा केवल औपचारिकता बनकर रह गयी. गांव की स्थिति सुधरने के बजाय और भी खराब होती जा रही है. मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. खासकर श्मशान घाट तक जाने वाली सड़क की हालत अत्यंत दयनीय हो चुकी है. बरसात के मौसम में यह मार्ग कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाता है, जिससे शव यात्रा तक निकालना दूभर हो गया है. गांव के लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शव वाहन और लकड़ी ढोने वाले टेंपो दलदल में फंस जा रहे हैं. हाल ही में 27 जुलाई को गांव के राधेश्याम साहू के निधन के बाद शव को श्मशान घाट तक पहुंचाना बड़ी चुनौती बन गयी. लकड़ी ले जा रहा टेंपो कीचड़ में बुरी तरह फंस गया, जिसे ग्रामीणों ने मिलकर धक्का देकर बाहर निकाला. अंततः शव यात्रा खेतों के रास्ते निकालनी पड़ी. ग्रामीणों ने बताया कि मंगरा महली के घर से नदी मसना तक लगभग 2000 फीट का कच्चा रास्ता है. गर्मी के दिनों में यह रास्ता किसी तरह उपयोगी होता है, लेकिन बरसात में यह मार्ग कीचड़ से भर जाता है. कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से शिकायत की गयी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. लोगों का कहना है कि प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव की उपेक्षा सरकारी संवेदनहीनता को दर्शाती है. आदर्श ग्राम की उपाधि यहां के लिए अब मजाक बन गयी है. ग्रामीणों ने कहा कि अबुआ राज के नाम पर लूट मची है और प्रशासनिक अमला गांव की ओर झांकना भी जरूरी नहीं समझता. शासन-प्रशासन से ग्रामीणों का भरोसा अब पूरी तरह उठ गया है.

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