लोहरदगा. शहर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बसा निंगनी गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. सदर प्रखंड अंतर्गत आने वाला यह गांव पेयजल, सड़क और स्वच्छता जैसी जरूरी सुविधाओं से अब तक वंचित है. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान जब संवाददाता गांव पहुंचे, तो ग्रामीणों ने खुले दिल से अपनी व्यथा सुनायी. गांव में पेयजल की सबसे गंभीर समस्या है. जलापूर्ति योजना के नाम पर सिर्फ ढांचा खड़ा किया गया, लेकिन न टंकी लगी और न ही पानी की व्यवस्था हो पायी. जहां टंकी लगी भी, वहां बोरिंग इतनी कम की गयी कि पानी का नामोनिशान नहीं है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ठेकेदार और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाओं की राशि तो निकाल ली गयी, लेकिन काम अधूरा छोड़ दिया गया. जनप्रतिनिधियों और अफसरों की बेरुखी से गांववाले खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. गंदगी ने घेरा, सड़कें बेहाल गांव की सफाई व्यवस्था भी बदहाल है. नालियां अधूरी बनी हैं और जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं. नतीजा यह कि गंदा पानी सड़कों पर बहता है और संक्रामक बीमारियों का खतरा बना रहता है. यह दृश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोलता है. सड़क की हालत इतनी खराब है कि चलना दूभर हो गया है. कई बार फरियाद के बावजूद न तो सड़क बनी और न ही सांसद निधि से बनी योजनाएं टिक पायीं. ग्रामीणों ने बताया कि योजना शुरू होते ही गुणवत्ता की अनदेखी कर दी जाती है और निर्माण कार्य टूटने लगते हैं. जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से नाराज हैं लोग गांव के संतोष नायक, दिनेश साहू, राजकुमार साहू, बिट्टू साहू, सीटू साहू, विजय नायक, सीता देवी, कलावती उरांव और राज मुनि देवी ने बताया कि निंगनी गांव में विकास के नाम पर केवल लूट मची है. न कोई जनप्रतिनिधि यहां झांकने आता है और न ही अधिकारी हाल पूछते हैं. ग्रामीणों ने कहा, हम एक संपन्न गांव में रहते हुए भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। नेताओं को सिर्फ वोट के वक्त याद आता है, फिर कोई नहीं लौटता. “,”
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