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विकास की गंगा के दावे हुए फेल

राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले लोहरदगा जिले में इन दिनों विकास के नाम पर गहराती खामोशी जनता के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.

लोहरदगा. राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले लोहरदगा जिले में इन दिनों विकास के नाम पर गहराती खामोशी जनता के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. चुनाव के समय विकास की गंगा बहाने का दावा करने वाले नेता अब नजर नहीं आ रहे हैं. जनता हैरान है कि चुनाव जीतने के बाद ये जनप्रतिनिधि अचानक खामोश क्यों हो गये हैं. जिले में भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन चुका है. बिजली, पानी और सड़कों की हालत बेहद खराब है. बॉक्साइट और बालू के खेल पर सबकी निगाहें हैं, लेकिन कोई खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं. जंगल तेजी से उजड़ रहे हैं और युवा नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं. कोल्ड स्टोरेज बनकर तैयार है, लेकिन उसे चालू नहीं किया जा रहा है. किसानों के हितैषी बनने वाले नेता भी अब चुप्पी साधे हुए हैं. शहरी क्षेत्र की सड़कों की हालत इतनी खराब हो गयी है कि लोग रोजाना दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं. पावरगंज से मिशन चौक तक नगर परिषद द्वारा बनी मुख्य सड़क महज दो साल में जर्जर हो गयी है. जगह-जगह गड्ढे बन गये हैं, जिनमें बारिश का पानी भरने से हादसे आम हो गये हैं. लोगों ने सड़क निर्माण के समय ही अनियमितताओं की शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. नतीजा आज सबके सामने है, सड़क टूट चुकी है और जनता की गाढ़ी कमाई पानी में बह गयी है. लोहरदगा राज्य के पूर्व वित्त मंत्री का विधानसभा क्षेत्र रहा है, बावजूद इसके हालात दिन पर दिन बदतर होते जा रहे हैं. जनहित के मुद्दों से न सत्ता पक्ष को मतलब है और न ही विपक्ष को. चुनाव के समय नेताओं की भरमार रहती है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही ये नेता क्षेत्र से गायब हो जाते हैं.

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