लोहरदगा़ जिले में लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बारिश से हर तबके के लोगों को परेशानी हो रही है. अत्यधिक वृष्टि के कारण खेतों में रोपनी का काम नहीं हो पा रहा है. जिससे किसान मायूस हैं. दूसरी ओर बारिश के कारण शहर तथा ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें सरकारी व्यवस्था की पोल खोल रही है. कहने को तो स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन लोगों को आवागमन की सुविधा मुहैया कर रहे हैं. लेकिन यहां धरातल पर आवागमन की व्यवस्था कुछ और ही नजारा प्रस्तुत करती है़ शहर की सड़कों की स्थिति को देखते ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों को आवागमन की कितनी सुविधा मुहैया करायी जा रही है. शहरी क्षेत्र में स्थित राणा चौक से धोबी मोहल्ला होते बदला की सड़क बदहाल है. सड़क के बीचो-बीच जमा पानी चलने लायक नहीं है. जिससे शहरवासी काफी परेशान हैं. इसके अलावा जिला मुख्यालय से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर कचहरी मोड़ बमनडीहा सड़क है. इस सड़क की स्थिति भी जर्जर हो गयी है. स्थानीय लोगों को इस रास्ते पर चलना दुर्घटना को आमंत्रित करने से कम नहीं है. यह सड़क जिला मुख्यालय से कई प्रखंडों के ग्रामीण इलाकों को जोड़ती है. बावजूद इसके इस सड़क की मरम्मत को लेकर कोई संवेदनशील नहीं है. कुजरा से नारी नावाडीह को जोड़ने वाली सड़क बदहाल कुजरा से नारी नावाडीह को जोड़ने वाली सड़क की हालत भी बदहाल हो गयी है. वर्तमान समय में कुजरा में आइटीआइ, एकलव्य विद्यालय, कस्तूरबा विद्यालय के अलावा हाई स्कूल होने के बावजूद इस सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. एजुकेशनल हब वाले रास्ते की मरम्मत को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही है. जिससे रोजाना कार्य पर जाने वाले सरकारी कर्मियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों व अन्य लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कृषि कार्य पर निर्भर इस क्षेत्र के लोग अपने उत्पादित सामान भी सड़क की बदहाल स्थिति के कारण बाजारों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं. जान जोखिम में डाल आवागमन को मजबूर हैं लोग बदला-आरया सड़क पर तो लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को विवश हैं. बारिश के बावजूद लोगों को अपने जरूरी काम के लिए अपने घरों से निकलना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में इस सड़क पर चलना जान जोखिम में डालकर चलने के बराबर हो रहा है. कुल मिलाकर जिले में कई ऐसी सड़कें हैं जो लोगों को सुलभ आवागमन के बजाय जानलेवा साबित हो रही है. लेकिन इसकी मरम्मत या निर्माण को लेकर ना तो स्थानीय जनप्रतिनिधि संवेदनशील हैं और न हीं जिला प्रशासन. जिससे लोगों में घोर निराशा है. लोगों का कहना है कि सड़क खराब होने की सूचना जनप्रतिनिधियों को भी है और जिला प्रशासन को भी तो ऐसे में आम लोग और ग्रामीण फरियाद लेकर जायें तो जायें कहां.
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